
नई दिल्ली, 27 मई 2025 –
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने संयुक्त रूप से एक बयान जारी कर मध्य प्रदेश के भिंड जिले में पत्रकारों के साथ हुई पुलिसिया बर्बरता की कड़ी निंदा की है। इन संगठनों ने इस मामले में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
क्या है मामला:
संयुक्त बयान में बताया गया कि 1 मई को पत्रकार शशिकांत गोयल और अमरकांत चौहान को ‘चाय पर चर्चा’ के बहाने एसपी असित यादव के चैंबर में बुलाया गया, जहां पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ मारपीट की। दोनों पत्रकारों ने चंबल नदी में हो रहे अवैध रेत खनन का खुलासा किया था, जिसमें कथित रूप से पुलिस की संलिप्तता बताई जा रही थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अन्य पत्रकारों के साथ भी एसपी ऑफिस में अपमानजनक व्यवहार किया गया। इसके बाद गोयल और चौहान के साथ मारपीट की गई।
उत्पीड़न का सिलसिला:
बयान के अनुसार, 4 मई को जब दोनों पत्रकार दिल्ली रवाना हो रहे थे, तब उन्हें ग्वालियर रेलवे स्टेशन से बहाने से उठाकर एक ढाबे पर ले जाया गया। वहां से उन्हें एसपी के बंगले पर “समझौते” के नाम पर दबाव डालने के लिए ले जाया गया।
5 मई को दोनों पत्रकारों को एक वीडियो बयान देने को मजबूर किया गया, जिसमें यह दर्शाने की कोशिश की गई कि मामला सुलझ गया है। इस वीडियो को सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप पर फैलाकर पत्रकारों की साख को चोट पहुंचाने की कोशिश की गई।
लगातार हो रहे मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न से परेशान होकर दोनों पत्रकार 19 मई को दिल्ली पहुंचे और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत दर्ज कराई।
प्रेस संगठनों की मांग:
पुलिस महानिदेशक कैलाश माकवाना से निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह
संबंधित सभी सीसीटीवी फुटेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को संरक्षित करने का निर्देश
पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करने और उनकी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील
यह मामला देशभर के पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। प्रेस संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई, तो वे व्यापक स्तर पर विरोध दर्ज कराएंगे।
ब्यूरोचीफ गणपत राय