

भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, जिसके तहत यूजीसी (University Grants Commission) नेट या पीएचडी वाले विषयों में ही शिक्षक बनाए जा सकेंगे। अब तक, विश्वविद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए एक ही विषय में स्नातक (यूजी), परास्नातक (पीजी) और पीएचडी की अनिवार्यता थी, लेकिन अब इस नियम में लचीलापन लाया जा रहा है। इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों को विभिन्न विषयों की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करना है और विश्वविद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए कुछ नए मानक और लचीलापन देने की कोशिश की जा रही है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत नया कदम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत शिक्षक बनने की प्रक्रिया में बदलाव लाने की योजना है। इससे पहले केवल एक ही विषय में स्नातक, परास्नातक और पीएचडी करने की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब विभिन्न विषयों में अध्ययन करने के बाद भी शिक्षक बनने का रास्ता खोला जाएगा। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को बहुविषयक शिक्षा देने की दिशा में कदम बढ़ाना है, जिससे वे समग्र विकास की ओर अग्रसर हो सकें।
प्रोफेशनल विकास में होगा नया बदलाव
अब केवल शोधपत्र, स्टार्टअप, उद्यमिता, नवाचार, पेटेंट और उद्योग साझेदारी जैसी चीजों का मूल्यांकन शिक्षक की प्रमोशन प्रक्रिया में सहायक होंगे। इसके अलावा, अब असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर और फिर प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी और फैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम की ट्रेनिंग अनिवार्य कर दी जाएगी। इस बदलाव का उद्देश्य उच्च शिक्षा में शिक्षक की गुणवत्ता में सुधार लाना और विद्यार्थियों को अधिक व्यावहारिक और समाज के हित में काम आने वाला शिक्षा देना है।
यूजीसी रेग्यूलेशन 2018 में संशोधन की तैयारी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) 2018 में लागू किए गए अपने रेग्यूलेशन में संशोधन करने की तैयारी कर रहा है, और इसके स्थान पर अब यूजीसी रेग्यूलेशन 2024 आएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षक बनने की प्रक्रिया को और अधिक लचीला और विद्यार्थियों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार करना है।
यूजीसी रेग्यूलेशन 2024 से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षक बनने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आएगा। इसके अलावा, असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर बनने की प्रक्रिया में भी अब प्रोफेशनल विकास को भी एक अहम पहलू माना जाएगा। यह बदलाव शिक्षक की गुणवत्ता में सुधार और समाज के हित में कार्य करने वाले शिक्षकों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया गया है।
शिक्षकों की प्रमोशन प्रक्रिया में होंगे नए मापदंड
शिक्षक बनने के बाद अगर कोई असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर बनना चाहता है, तो उसे अब केवल अनुभव नहीं बल्कि नवाचार, पेटेंट, और उद्योग से जुड़ी भागीदारी जैसी चीजों का भी मूल्यांकन किया जाएगा। इसके साथ ही, प्रोफेसर बनने के लिए फैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम में ट्रेनिंग हासिल करना अनिवार्य होगा। इससे शिक्षक अपने विषय के अलावा, अन्य क्षेत्रों में भी दक्षता प्राप्त कर सकेंगे।
इस नई प्रक्रिया के तहत, केवल पारंपरिक डिग्रियों से नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन के अनुभव और समाज के हित में किए गए कार्यों का भी मूल्यांकन किया जाएगा। इससे शिक्षक की क्षमता और समग्र विकास में सुधार होगा। यह बदलाव पूरी शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा।
बहुविषयक शिक्षा के लाभ
एनईपी 2020 के तहत अब छात्रों को बहुविषयक शिक्षा लेने की आजादी दी जाएगी। पहले के मुकाबले अब छात्र एक ही विषय तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी रुचियों के अनुसार पढ़ाई कर सकते हैं। यह कदम छात्रों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
बच्चों का विकास केवल एक विषय तक सीमित नहीं रह सकता, उन्हें विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने और काम करने की क्षमता मिलनी चाहिए। यही कारण है कि एनईपी 2020 के तहत विश्वविद्यालयों और शिक्षकों को भी इस बदलाव के अनुरूप ढालने की आवश्यकता महसूस हो रही है। यह कदम शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षक बनने के नए अवसर
अब शिक्षक बनने के अवसर को और लचीला बनाने के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के लिए नए नियम लागू किए जा रहे हैं। अब शिक्षक बनने के लिए सिर्फ एक ही विषय में स्नातक, परास्नातक और पीएचडी की शर्त को समाप्त कर दिया गया है। इससे विविध क्षेत्रों में शिक्षक बनने के अवसर बढ़ेंगे।
यह कदम खासकर उन छात्रों के लिए लाभकारी है जो विभिन्न विषयों में रुचि रखते हैं और अब उन्हें अपने पसंदीदा विषयों में पढ़ाई करने की आजादी मिलेगी। इससे भविष्य में नौकरी की संभावनाओं में भी बढ़ोतरी होगी क्योंकि शिक्षकों के पास अब बहुआयामी ज्ञान होगा।