पितृ पक्ष आज, बुधवार से आरंभ हो रहे हैं और 2 अक्टूबर को पितरों की विदाई दी जाएगी। इस समय को पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने का उपयुक्त अवसर माना जाता है। जिन लोगों को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है, वे 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्धकर्म कर सकते हैं। यह श्राद्ध 30 सितंबर तक चलेगा, जिसके अंतर्गत पिंडदान, तर्पण और अन्य अनुष्ठान किए जाएंगे।
पिंडदान का महत्व
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म आवश्यक हैं। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं और उनके नाम से ब्राह्मणों को भोजन कराना, गाय, कुत्ते, कौवे और चीटियों को भोजन देना पितरों को प्रसन्न करता है।
श्राद्ध के लिए उपयुक्त समय
श्राद्ध कर्म के लिए दिन का शुभ समय है:
- सुबह: 11:36 से 12:25 तक
- दोपहर: 12:25 से 1:14 तक
- दोपहर: 1:14 से 3:41 तक
श्राद्ध तिथियां
पितृ पक्ष की प्रमुख तिथियां इस प्रकार हैं:
- प्रतिपदा श्राद्ध: 18 सितंबर
- द्वितीया श्राद्ध: 19 सितंबर
- त्रयोदशी श्राद्ध: 30 सितंबर
- चतुर्दशी श्राद्ध: 1 अक्टूबर
- सर्व पितृ अमावस्या: 2 अक्टूबर
विशेष महत्व: पौधरोपण और पूजन
पिंडदान के साथ पौधरोपण का भी विशेष महत्व है। बेलपत्र और तुलसी जैसे पौधे लगाने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है।
क्या करें और क्या न करें
मांस और मदिरा के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही श्राद्ध के दौरान गया जाकर पिंडदान करने वालों के लिए खरीदारी आदि निषेध नहीं है।