
मुस्लिम महिलाओं ने उतारी आरती,दीक्षा लेकर रामपंथ की ओर बढ़ाया कदम
जहां एक ओर देश में धर्म और जाति के नाम पर नफरत का माहौल बनाने की कोशिशें हो रही हैं, वहीं वाराणासी जिले के बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर एकता, प्रेम और सौहार्द की मिसाल पेश की। रामानंदी संप्रदाय के प्राचीन पातालपुरी मठ में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला जब मुस्लिम महिलाओं ने मठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी महाराज की आरती उतारी, तिलक लगाया और चरण वंदना कर सम्मान व्यक्त किया।
गुरु पूर्णिमा पर मठ के दरवाजे सभी जातियों, धर्मों और वर्गों के लोगों के लिए खुले रहे। सैकड़ों मुस्लिम, आदिवासी और अन्य समाज के लोगों ने गुरुदीक्षा ली और देश-धर्म व मानवता की सेवा का संकल्प लिया। शिष्यों ने रामनामी अंगवस्त्र ओढ़कर गुरु के प्रति आभार जताया।
जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी ने कहा कि रामपंथ कोई संकीर्ण विचारधारा नहीं बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का मार्ग है। यह मार्ग दया, प्रेम, शांति और लोक कल्याण की भावना को जीवित करता है। उन्होंने कहा कि “राम के दर पर कोई भेद नहीं होता,” और गुरु का कार्य होता है अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाना।
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी ने कहा कि “गुरु के बिना राम तक नहीं पहुंचा जा सकता। गुरु ही वह तत्व है जो नफरत, हिंसा, घृणा और अहंकार को समाप्त कर सकता है।” शहाबुद्दीन तिवारी, मुजम्मिल, अफरोज और नगीना जैसे दीक्षित अनुयायियों ने कहा कि उनके पूर्वज रामपंथी थे और वे आज भी उसी संस्कृति से जुड़े रहना चाहते हैं जो प्रेम और एकता का संदेश देती है।
इस कार्यक्रम में रामपंथाचार्य डॉ. राजीव श्रीगुरुजी, डॉ. कवीन्द्र नारायण, डॉ. अर्चना भारतवंशी, डॉ. नजमा परवीन, फिरोज पांडेय सहित अनेक धर्मगुरु, विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। बांसुरी वादन से गुरु वंदना कर सांस्कृतिक रंग भी बिखेरा गया।