

माँ पार्वती शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं, जो प्रेम, करुणा, सौंदर्य और समर्पण का प्रतीक हैं। ‘Parvati Mantra’ एक ऐसा दिव्य माध्यम है जिससे साधक माँ की कृपा, सौभाग्य और मानसिक शांति प्राप्त कर सकता है। इस लेख में हम पार्वती मंत्र के महत्व, उसकी सही विधि और उससे मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डालेंगे।

पार्वती मंत्र
माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वर:
बान्धवा: शिवभक्ताश्च, स्वदेशो भुवनत्रयम ॥
‘Parvati Mantra’ न केवल एक धार्मिक साधन है, बल्कि आत्मा को जोड़ने वाला एक दिव्य सेतु है। जो भी श्रद्धा और विधिपूर्वक इसका जाप करता है, वह माँ पार्वती की कृपा का पात्र बनता है। यदि आप भी अपने जीवन में प्रेम, शांति, सौभाग्य और शक्ति की प्राप्ति चाहते हैं, तो पार्वती मंत्र का जप अवश्य करें और देवी माँ के चरणों में स्वयं को समर्पित करें।
पार्वती मंत्र जप की विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को स्वच्छ कर माँ पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- सफेद या गुलाबी पुष्प अर्पित करें।
- घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- शांत मन से माँ पार्वती का ध्यान करें।
- मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें (रुद्राक्ष या चंदन की माला से)।
- अंत में माँ से कृपा, सौभाग्य और शांति की प्रार्थना करें।
पार्वती मंत्र जप के लाभ
- वैवाहिक जीवन में सुख – पार्वती मंत्र से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- सौभाग्य की प्राप्ति – यह मंत्र विशेष रूप से स्त्रियों के लिए सौभाग्य और सुहाग की रक्षा करता है।
- मानसिक शांति – पार्वती मंत्र के जप से तनाव, चिंता और अशांति दूर होती है।
- संतान प्राप्ति में सहायता – संतान की कामना रखने वाले दंपत्तियों के लिए यह मंत्र अत्यंत फलदायी है।
- शक्तिशाली आत्मबल – यह मंत्र साधक के अंदर आत्मबल और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है।