दिल्ली के निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी और पहली कक्षा में दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया आज समाप्त हो रही है। इस वर्ष दाखिले के लिए सीटों की संख्या सीमित होने और आवेदनकर्ताओं की संख्या अधिक होने के कारण स्कूलों में लॉटरी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। हालांकि, अंकों के आधार पर प्राथमिकता देने का भी एक सिस्टम है, लेकिन दिल्ली के प्रतिष्ठित स्कूलों में किस्मत का खेल भी अहम साबित हो सकता है।
अंकों से ज्यादा किस्मत का खेल, लॉटरी प्रक्रिया अपनाएंगे स्कूल
इस साल नर्सरी कक्षाओं में दाखिले के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीटों की कमी और आवेदनकर्ताओं की अधिक संख्या है। जहां कुछ स्कूलों में सीटों की संख्या 90 तक है, वहीं अन्य स्कूलों में यह संख्या कहीं कम है, जिसके कारण लॉटरी निकालने की स्थिति बन रही है। हालांकि, जिन उम्मीदवारों को 90 अंक तक मिलेंगे, उन्हें लॉटरी के बिना ही दाखिला मिल जाएगा। वहीं, जिन छात्रों को 60-70 अंक मिल रहे हैं, उन्हें दाखिले के लिए लॉटरी का सहारा लिया जाएगा।
स्कूलों के मानक: पड़ोस, पूर्व छात्र, भाई-बहन, और लड़की बच्चे को मिलेगा फायदा
किसी भी स्कूल में दाखिले के लिए आवेदकों को मिलने वाले अंक केवल शैक्षिक प्रदर्शन पर ही निर्भर नहीं होते, बल्कि विभिन्न मानकों के आधार पर भी अंक दिए जाते हैं। इनमें प्रमुख हैं—पड़ोस, पूर्व छात्र (एल्युमिनी), भाई-बहन (सिबलिंग) और लड़की बच्चे (गर्ल चाइल्ड)। ये मानक बच्चे के प्रवेश को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी स्कूल में 90 सीटें हैं और इन मानकों पर अंकों के आधार पर 80 बच्चों का चयन हो चुका है, तो केवल 10 सीटों के लिए बाकी बच्चों के बीच लॉटरी निकाली जाएगी।
कैसे बढ़ता है लॉटरी का दबाव: दावेदारों की संख्या
वर्तमान में दिल्ली के अधिकांश प्रतिष्ठित स्कूलों में नर्सरी दाखिले के लिए आवेदन की संख्या इतनी अधिक है कि कई स्कूलों में एक सीट के लिए तीन बच्चों की दावेदारी है। इससे स्कूलों को लॉटरी की प्रक्रिया अपनानी पड़ रही है। डीपीएस, लक्ष्मण पब्लिक स्कूल, मदर्स इंटरनेशनल, मॉडर्न स्कूल जैसे प्रमुख स्कूलों में भी यह स्थिति बन रही है, जहां लॉटरी की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए वीडियोग्राफी और अभिभावकों की उपस्थिति जरूरी होगी।
अभिभावकों के लिए सुझाव: अपनी पसंदीदा स्कूल में सीट पक्की करें
एडमिशन नर्सरी डॉटकॉम के प्रमुख सुमित वोहरा के अनुसार, यदि किसी बच्चे को 100 में से 90 अंक मिलते हैं, तो उसकी सीट पक्की हो जाती है। लेकिन अगर ऐसे दावेदारों की संख्या अधिक हो और सीटें सीमित हों, तो लॉटरी का सहारा लिया जाएगा। ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चे के लिए एक सीट पक्की करने के लिए तुरंत प्रतिक्रिया करनी चाहिए। यदि पहली सूची में मनपसंद स्कूल में नाम नहीं आता, तो वे दूसरी सूची का इंतजार कर सकते हैं।
लॉटरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए स्कूलों पर होगी जिम्मेदारी
हालांकि लॉटरी की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों को कुछ नियमों का पालन करना होगा। इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी, ताकि किसी प्रकार की धोखाधड़ी की आशंका न हो। स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लॉटरी के समय अभिभावक मौजूद हों, और लॉटरी के दौरान उनकी उपस्थिति और बच्चों के नाम की पर्ची बॉक्स में डालने से पहले अभिभावकों को दिखानी होगी। इस कदम से अभिभावकों के बीच विश्वास बढ़ेगा और पारदर्शिता कायम रहेगी।