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12वीं कक्षा में अब नहीं बदला जा सकेगा विषय: मध्य प्रदेश बोर्ड का नया नियम

12वीं कक्षा में अब नहीं बदला जा सकेगा विषय: मध्य प्रदेश बोर्ड का नया नियम
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मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (MPBSE) ने कक्षा 12वीं के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। अब से, 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राएं अपनी विषयों को नहीं बदल सकेंगे। पहले, बोर्ड ने छात्रों को कक्षा 12वीं में अपने विषय बदलने की अनुमति दी थी, लेकिन अब यह सुविधा पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है। इसके बाद, विद्यार्थियों को अपनी 12वीं कक्षा में वही विषय पढ़ने होंगे, जो उन्होंने 11वीं कक्षा में चुने थे।

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क्या है नया नियम?

अब तक 12वीं कक्षा के छात्र अपनी इच्छानुसार कुछ विषयों को बदल सकते थे, खासकर यदि वे किसी कठिन विषय को चुनने में असहज महसूस करते थे या अगर उन्हें लगता था कि उनका चयन उनके भविष्य के लिए उपयुक्त नहीं है। लेकिन अब यह विकल्प समाप्त हो गया है। मध्य प्रदेश बोर्ड ने साफ कर दिया है कि 12वीं में पढ़ने वाले छात्र को वही विषय मिलेंगे, जो उन्होंने 11वीं में चुने थे।

इस कदम का उद्देश्य छात्रों को उनके शैक्षिक मार्गदर्शन में एक स्थिरता प्रदान करना और बोर्ड परीक्षा में किसी प्रकार की गड़बड़ी से बचाना है। साथ ही, यह नियम उन छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो 11वीं में अपने विषय चयन में गलती कर चुके थे या जिनकी रुचि समय के साथ बदल गई हो।

गलती सुधारने का विकल्प: 31 दिसंबर तक का समय

मध्य प्रदेश बोर्ड ने हालांकि एक राहत दी है। यदि छात्रों ने अपनी परीक्षा फॉर्म भरने के दौरान गलती से विषय बदल लिया है या अगर कोई अन्य त्रुटि हुई है, तो इसे 31 दिसंबर, 2024 तक सुधारा जा सकता है। यह सुधार स्कूल स्तर पर किया जाएगा और छात्रों को निर्धारित शुल्क भी जमा करना होगा।

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यह अवसर उन छात्रों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जिन्होंने गलती से अपना विषय बदल लिया था या जिन्होंने गलत विषय का चयन किया था। बोर्ड ने स्कूलों को यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि किसी छात्र को इस तरह का सुधार करना हो, तो वह 31 दिसंबर तक कर सकता है। इसके लिए स्कूलों को एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा और इसके लिए शुल्क भी लिया जाएगा।

विद्यालयों के लिए निर्देश

मध्य प्रदेश बोर्ड ने स्कूलों को यह भी चेतावनी दी है कि यदि कोई स्कूल इस नियम का उल्लंघन करता है, तो संबंधित प्रधानाचार्य के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह कदम बोर्ड द्वारा सुनिश्चित किया गया है ताकि यह नियम पूरे राज्य में सख्ती से लागू हो और छात्रों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

पहले थी 12वीं में विषय बदलने की सुविधा

यह नया नियम उन छात्रों के लिए निराशाजनक हो सकता है, जो पहले 12वीं में विषय बदलने के विकल्प का लाभ उठाते थे। पहले छात्रों को यह सुविधा दी जाती थी कि वे 11वीं के बाद 12वीं में अपनी पसंद के हिसाब से विषय बदल सकते थे। खासकर ऐसे छात्र, जो 11वीं में किसी कठिन विषय को लेकर असमंजस में रहते थे या जिन्होंने किसी कारणवश सही विषय का चयन नहीं किया था, उन्हें यह सुविधा काफी सहायक लगती थी।

लेकिन अब बोर्ड ने इस सुविधा को बंद कर दिया है। छात्रों को अब पूरी तरह से अपने 11वीं में चुने गए विषयों को ही 12वीं में पढ़ने होंगे। इस बदलाव के साथ, बोर्ड ने यह निर्णय लिया है कि इससे शिक्षा प्रणाली में स्थिरता आएगी और परीक्षा प्रक्रिया में भी पारदर्शिता बनी रहेगी।

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छात्रों की तैयारी और मानसिक स्थिति पर असर

इस बदलाव का सबसे बड़ा असर उन छात्रों पर पड़ेगा, जिन्होंने कक्षा 11वीं में ऐसे विषयों का चयन किया था, जिनमें उनकी रुचि या क्षमता नहीं थी। खासकर उन छात्रों के लिए यह स्थिति परेशानी का कारण बन सकती है, जिन्हें लगता है कि वे 12वीं में अपना विषय बदल कर बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे। ऐसे छात्रों को अब पूरी कक्षा 12वीं तक वही विषय पढ़ने होंगे, जो उन्होंने 11वीं में चुने थे।

इस बदलाव का मानसिक प्रभाव भी हो सकता है, क्योंकि छात्रों को अब उस विषय पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिसमें वे पहले से असमर्थ या कमज़ोर महसूस करते थे। इसके अलावा, छात्रों को अब अपनी तैयारी में और भी अधिक मेहनत करनी होगी, क्योंकि वे अपनी पसंद के विषय को बदलने का मौका खो चुके हैं।

कक्षा 12वीं में विषय बदलने की सुविधा क्यों खत्म की गई

मध्य प्रदेश बोर्ड ने कक्षा 12वीं में विषय बदलने की सुविधा को खत्म करने के पीछे कई कारण बताए हैं। पहला कारण यह है कि बोर्ड को लगता है कि छात्रों को 12वीं कक्षा में एक स्थिर पाठ्यक्रम के तहत अध्ययन करना चाहिए, ताकि परीक्षा में कोई असुविधा न हो। दूसरी ओर, बोर्ड का मानना है कि छात्रों को समय पर सही विषय का चयन करना चाहिए और बाद में अपनी गलती पर अफसोस करने से अच्छा है कि वे शुरुआत से ही सही निर्णय लें।

इसके अतिरिक्त, बोर्ड का यह भी मानना है कि विषय बदलने से परीक्षा की प्रक्रिया में असंगतता पैदा हो सकती है और यह छात्रों के लिए मानसिक दबाव भी बढ़ा सकता है। इसलिए, इस सुविधा को पूरी तरह से समाप्त करने का निर्णय लिया गया है, ताकि शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और स्थिरता बनी रहे।

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