मंदिर में नए नियम लागू: पुजारियों की नई ड्यूटी और क‍िए गए कड़े प्रावधान

मंदिर में नए नियम लागू
Shiv murti

मंदिर प्रशासन ने नए पुजारियों की ड्यूटी निर्धारित करते हुए उन्हें दो समूहों में बांटा है। कुल 14 पुजारियों को सात-सात के दो ग्रुप में विभाजित किया गया है। यह कदम मंदिर में अनुशासन और बेहतर व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।

एंड्रॉइड फोन के इस्तेमाल पर रोक

ट्रस्ट ने पुजारियों के लिए कई नए नियम लागू किए हैं, जिनमें से एक प्रमुख नियम यह है कि मंदिर परिसर में पुजारी अब एंड्रॉइड फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। इस फैसले का उद्देश्य पूजा में ध्यान भंग होने से रोकना और धार्मिक माहौल को पवित्र बनाए रखना है।

ड्रेस कोड लागू

पुजारियों के लिए ड्रेस कोड भी निर्धारित किया गया है। अब पुजारियों को पीले रंग की चौबंदी, धोती, कुर्ता और सिर पर पीले रंग की पगड़ी पहननी होगी। इसके अतिरिक्त, भगवा रंग के वस्त्र भी ड्रेस कोड में शामिल किए गए हैं। यह ड्रेस कोड मंदिर के धार्मिक महत्व और परंपराओं को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है।

नियमों के पालन पर जोर

मंदिर ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि इन नए नियमों का पालन अनिवार्य होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण और मॉनिटरिंग भी की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान रखा गया है।

अनुशासन बनाए रखने की पहल

मंदिर प्रशासन ने इन बदलावों के माध्यम से मंदिर में अनुशासन और पवित्रता बनाए रखने का प्रयास किया है। नए नियमों से न केवल पुजारियों के कार्यों में सुधार होगा, बल्कि मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को भी बेहतर अनुभव मिलेगा।

पुजारियों के कार्यक्षेत्र में पारदर्शिता

पुजारियों को उनके कार्यक्षेत्र के अनुसार जिम्मेदारियां दी गई हैं, ताकि वे अपने कार्यों को बेहतर तरीके से निभा सकें। दोनों समूहों के पुजारी अलग-अलग शिफ्ट में काम करेंगे, जिससे मंदिर की सेवा बिना रुकावट के जारी रह सके।

धार्मिक परंपराओं का पालन

ड्रेस कोड और फोन पर पाबंदी जैसे नियमों से मंदिर की परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं को संरक्षित रखने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। ट्रस्ट का मानना है कि इन नियमों से मंदिर की पवित्रता और अनुशासन में सुधार होगा।

श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया

मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भी इन नए नियमों का स्वागत कर रहे हैं। उनका मानना है कि पुजारियों द्वारा परंपरागत वेशभूषा पहनने से धार्मिक वातावरण और भी पवित्र प्रतीत होता है।

नए नियमों की अहमियत

इन बदलावों से न केवल पुजारियों की जिम्मेदारी बढ़ी है, बल्कि मंदिर ट्रस्ट ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पूजा-पाठ का माहौल और अधिक धार्मिक और श्रद्धापूर्ण हो।

सकारात्मक पहल

मंदिर प्रशासन की यह पहल धार्मिक स्थलों पर अनुशासन और पारंपरिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करने का एक सराहनीय प्रयास है।

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