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गम्भीर रूप से बीमार नवजात शिशुओं के उपचार के लिए सीएचसी गंगापुर में शुरू हुआ ‘एनबीएसयू’

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कम वजन, समय से पूर्व जन्मे या जन्म के उपरांत होने वाली समस्याओं का होगा तुरन्त उपचार

वाराणसी, सोनाली पटवा । जनपद के पिंडरा ब्लॉक के गंगापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्रथम संदर्भन इकाई (एफ़आरयू) पर मंगलवार को न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) की शुरुआत की गई। इसका शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने किया। अब सीएचसी गंगापुर समेत जनपद की चार चिकित्सा इकाइयों क्रमशः सीएचसी चोलापुर, सीएचसी अराजीलाइन एवं जिला चिकित्सालय रामनगर पर नियमित रूप से एनबीएसयू का संचालन किया जा रहा है।
सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि सीएचसी गंगापुर में चार बेड का एनबीएसयू शुरू किया गया है। जन्म के उपरांत शिशु में कोई भी समस्या दिखाई देती है तो उसे तत्काल एनबीएसयू में भर्ती कर समस्त जांच व उचित उपचार किया जाता है। एनबीएसयू, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में कमी लाने के लिए बेहतर भूमिका निभा रहा है। इस दौरान सीएमओ ने सीएचसी पर प्रदान की जा रही समस्त चिकित्सीय व स्वास्थ्य सुविधाओं का अवलोकन किया। अधीक्षक समेत समस्त स्टाफ को निर्देशित किया कि मरीजों के उपचार में किसी प्रकार की बाधा न आए। पर्याप्त मात्रा में सभी प्रकार की दवाएं और जांच उपकरण उपलब्ध रहें। सीएचसी पर इलाज के लिए आने वाले सभी लोगों की आभा आईडी जरूर बनवाएं। सीएमओ ने जनमानस से अपील की है कि चिकित्सालय व स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के उपरांत कम से कम 48 घंटे तक जच्चा बच्चा रुके रहें, ताकि किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होने पर वहीं के प्रशिक्षित डॉक्टर व स्टाफ उचित उपचार कर उन्हें स्वस्थ कर सकें।
डिप्टी सीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ एचसी मौर्य ने बताया कि एनबीएसयू का समस्त स्टाफ प्रशिक्षित है। यहाँ रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी के साथ ऑक्सीज़न कंस्ट्रेटर, सक्सन मशीन, लेरिंगों स्कोप, ड्रिप सेट, दवा, एवं अन्य आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध हैं। एनबीएसयू में कम वजन वाले बच्चों, प्री मेच्योर (समय से पूर्व जन्में बच्चे) या जन्म के उपरांत होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार किया जा रहा है। यहाँ स्टाफ नर्स के द्वारा माताओं और परिजन को कंगारू मदर केयर (केएमसी) विधि के बारे में जानकारी दी जाती है, जिससे शिशु हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार) से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रेडिएंट वार्मर, शिशु के शारीरिक तापमान को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है। फोटो थेरेपी, पीलिया से ग्रसित बच्चों को दी जाती है। सभी उपचार पूरी तरह सुरक्षित है। इस कार्य में न्यूट्रीशन इंटरनेशनल (एनआई) और यूपीटीएसयू की ओर से तकनीकी सहयोग मिल रहा है।
इस मौके पर अधीक्षक डॉ रविंद्र बिन्द, जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता पूनम गुप्ता, न्यूट्रीशन इंटरनेशनल (एनआई) की मंडलीय समन्वयक अपराजिता सिंह, स्टाफ नर्स एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

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