उत्तर प्रदेश में योगी सरकार गंगा को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। सरकार का उद्देश्य गंगा किनारे के जिलों में रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग को समाप्त कर पूरी तरह जैविक खेती को प्रोत्साहित करना है। यह पहल न केवल गंगा को स्वच्छ बनाएगी, बल्कि किसानों की भूमि और उत्पादकता को भी संरक्षित करेगी।
गंगा के दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर का रसायनमुक्त दायरा
सरकार की योजना के अनुसार, गंगा के दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस योजना के तहत, किसानों को जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशक उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि लीचिंग के माध्यम से रासायनिक पदार्थ गंगा में न घुलें।
नमामि गंगे योजना: गंगा के 27 तटवर्ती जिलों में विशेष ध्यान
गंगा के तटवर्ती 27 जिलों में नमामि गंगे योजना के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह योजना गंगा को स्वच्छ बनाने के साथ-साथ इन जिलों में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद कर रही है।
परंपरागत कृषि विकास योजना: 54 जिलों में विस्तार
प्राकृतिक खेती को अधिक व्यापक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के 54 जिलों में परंपरागत कृषि विकास योजना संचालित की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को जैविक खेती की तकनीक सिखाना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
गंगा के संरक्षण के लिए पौधरोपण
गंगा के किनारों पर हरियाली बढ़ाने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया जा रहा है। इस पहल का मकसद गंगा की गोद को हरा-भरा बनाना और तटवर्ती क्षेत्रों में पर्यावरणीय सुधार लाना है।
रसायनमुक्त खेती के फायदे
रसायनमुक्त खेती के कई फायदे हैं:
- भूमि की उर्वरता में वृद्धि
- पर्यावरण का संरक्षण
- जैव विविधता का विकास
- किसानों की आय में सुधार
- गंगा नदी के प्रदूषण में कमी
किसानों के लिए प्रशिक्षण और सहायता
सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को नियमित प्रशिक्षण और सहायता प्रदान कर रही है। जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया, प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग, और फसल संरक्षण की तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
गंगा के तटवर्ती जिलों में आर्थिक विकास
प्राकृतिक खेती से गंगा के तटवर्ती जिलों में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिल रहा है। जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग से किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिल रहा है।