magbo system

सेवापुरी में राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का हुआ भव्य समापन

सनातन संस्कृति पर शोध पत्र वाचन और विद्वानों के विचार प्रस्तुत

वाराणसी जिले के सेवापुरी स्थित पंडित दीन दयाल उपध्याय राजकीय महिला महाविद्यालय मे भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद,नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का भव्य समापन हुआ। जहाँ समापन सत्र में पूर्व शिक्षा निदेशक (उच्च शिक्षा) डॉ. महेंद्र राम, संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रो. शशि कपूर,क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी प्रो. ज्ञान प्रकाश वर्मा, डी.सी.एस.के. मऊ के प्राचार्य प्रो.सर्वेश पांडेय, प्रो.सविता भारद्वाज और महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो.सुधा पांडेय सहित कई शिक्षाविदों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

कॉन्फ्रेंस के समारोह की शुरुआत प्राचार्य प्रो.सुधा पांडेय के मार्गदर्शन में पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र,तुलसी दल और स्मृति चिह्न भेंट कर अतिथियों के स्वागत से हुई।वही कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन लगभग पचास विद्वानों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से अपने शोध पत्रों का वाचन किया।कॉन्फ्रेंस इस दौरान प्रो.रवि कुमार मिश्र,डॉ. बी.के. मिश्र,डॉ. स्वर्णिम घोष और प्रो. हरिओम त्रिपाठी ने सनातन संस्कृति के विभिन्न आयामों पर अपने विचार साझा किए।

वही समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो.शशि कपूर ने कहा कि “सनातन संस्कृति नदी की उस धारा के समान है,जो अनुपयोगी अवयवों को त्याग कर मूल्यपरक अवयवों का संवाहन करती है।” वहीं, डॉ. महेंद्र राम ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि यदि हम अपने दायित्वों का निष्ठापूर्वक पालन करते हैं तो हम सनातन को सच्चे अर्थों में आगे बढ़ा रहे हैं। विशिष्ट अतिथि प्रो. सर्वेश पांडेय ने सनातन संस्कृति के पारंपरिक स्वरूप को रेखांकित किया।

इस मौके पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. सुधा पांडेय ने अतिथि देवो भव की परंपरा का निर्वाह करते हुए सभी आगंतुकों का आभार जताया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर पर लगभग सात सौ से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया।

कॉन्फ्रेंस की विस्तृत रिपोर्ट प्रो. सत्यनारायण और प्रो. रविप्रकाश गुप्ता ने प्रस्तुत की। धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ. कमलेश कुमार सिंह और सुश्री प्रिया मिश्रा ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो. कमलेश वर्मा, प्रो. रामकृष्ण, प्रो. अर्चना गुप्ता, डॉ. सर्वेश कुमार सिंह, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. सुधा तिवारी और रामकिंकर सिंह समेत कई शिक्षाविदों का विशेष योगदान रहा।

खबर को शेयर करे