वाराणसी का नमो घाट काशी के सबसे बड़े घाट के रूप में विकसित किया गया है, जो आध्यात्मिकता और आधुनिकता का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह घाट लगभग एक किलोमीटर लंबा और 60,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें कई आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
विशेष सुविधाएं और संरचनाएं
नमो घाट पर एक हेलीपैड भी मौजूद है, जिसमें एक साथ तीन हेलीकॉप्टरों की लैंडिंग की सुविधा है। घाट पर एक मल्टीपरपज ग्राउंड है, जिसका क्षेत्रफल 9700 वर्ग मीटर है, जहां विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। इसके अलावा, विसर्जन कुंड, किड्स प्ले एरिया, वाटर स्पोर्ट्स और रैंप जैसी अन्य सुविधाएं भी यहां उपलब्ध हैं। गंगा आरती के लिए 5000 वर्ग मीटर का विशेष क्षेत्र भी समर्पित किया गया है, जिसमें 500 सीटों का ओपेन थिएटर और वॉकिंग एरिया भी है।
नमो घाट का विकास और लागत
वाराणसी स्मार्ट सिटी द्वारा करीब 90 करोड़ रुपये की लागत से नमो घाट का विकास किया गया है। इस परियोजना का कार्यदायी संस्था इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड थी, जिन्होंने इसे दो चरणों में पूरा किया। पहले चरण में 66 मीटर से लेकर 72 मीटर तक के घाटों का निर्माण हुआ। दूसरे चरण में 250 वर्ग मीटर का रेस्टोरेंट, 400 वर्ग मीटर का वीआईपी लाउंज, और 1200 मीटर लंबा पाथवे आदि शामिल किए गए। यहां एक 75 फीट ऊंचा ‘नमस्ते’ स्कल्पचर भी स्थापित किया गया है।
नमो घाट की कनेक्टिविटी और अन्य सुविधाएं
नमो घाट की कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाने के लिए 1200 मीटर लंबा पाथवे आदिकेशव घाट से जोड़ा गया है। इसके अलावा, घाट पर पार्किंग की सुविधा भी है, जिसमें 150 कारों की क्षमता है। पर्यटकों के लिए बोट्स के लिए बोर्डिंग और डिबोर्डिंग की सुविधा, शौचालय, और सीएनजी फ्यूलिंग स्टेशन जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, ताकि वे व्हील चेयर से सीधे गंगा के पास पहुंच सकें।
हेली टूरिज्म और आपातकालीन सेवाएं
नमो घाट पर बनाए गए हेलीपैड का उद्देश्य न केवल हेली टूरिज्म को बढ़ावा देना है, बल्कि आपदा और आपातकाल के दौरान भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। पर्यटक यहां से सीधे जलमार्ग के माध्यम से बिना ट्रैफिक में फंसे विश्वनाथ धाम का दर्शन कर सकते हैं।
इस तरह, नमो घाट ने न केवल वाराणसी की धार्मिक पहचान को बढ़ावा दिया है, बल्कि इसे एक आधुनिक और पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण स्थल भी बना दिया है।