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अकीदत से हुई नमाज, अल्लाह की राह में की कुर्बानी :- बकरीद पर अमन और तरक्की की दुआएं; सुरक्षा के कड़े इंतजाम

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न्यूज़ डेस्क-सोनाली पटवा।वाराणसी में कुर्बानी का पर्व ‘ईद उल अजहा’ आज हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शहर से लेकर देहात तक बकरीद पर एक दूसरे को गले मिलकर बधाई दे रहे हैं। ईदगाह के प्रांगण में हर्षोल्लास के साथ ईद उल अजहा की नमाज पढ़ने को अकीदतमंद जुटे हैं, तो मस्जिदों में अमन की दुआ की जा रही है। गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल काशी के ईदगाहों के बाहर सुबह से ही भारी भीड़ जुटी है। नमाजियों ने मुल्क में शांति, तरक्की, खुशहाली और भाईचारा के लिए दुआ पढ़ी गई।

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10 दिन पहले चांद दीदार के बाद से तारीख मुकर्रर थी, तो कुर्बानी के पर्व बकरीद की मुबारकबाद की सदा गूंज उठी। ईद उल अज़हा की नमाज मुख्‍य काजी के निर्देशन में पढ़ाई गई, तो मुस्लिम बंधुओं ने एक दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाईयां भी दी। नमाज के बाद लोगों ने अपने घरों में जाकर कुर्बानी की रस्म अदा की।

संवेदनशील इलाकों की ड्रोन कैमरे से निगरानी

वाराणसी के कचहरी से लेकर नदेसर, रेवड़ी तालाब से चेतगंज, बेनियाबाग से जैतपुरा तक बकरीद को देखते हुए सुबह पांच बजे से ही पुलिस सड़कों पर है। पुलिस और सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स के जवान पैदल गश्त कर रहे हैं। मिश्रित आबादी वाले संवेदनशील इलाकों की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे की मदद ली जा रही है।

शहर से लेकर देहात तक सुरक्षा व्‍यवस्‍था जहां चाक चौबंद है, वहीं प्रमुख मस्जिदों में नमाज को देखते हुए अतिरिक्‍त सुरक्षा बलों की तैनाती भी की गई थी। उधर, नगर निगम ने भी कुर्बानी के बाद साफ-सफाई के लिए तैयारियां कर रखी हैं। देर शाम तक मस्जिदों के आसपास साफ-सफाई और चूने का छिड़काव कराया गया।

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सुबह छह से 10.30 बजे तक नमाज

कुर्बानी के पर्व बकरीद की नमाज आज शहर भर की मस्जिदों और ईदगाहों में अदा की गई। मस्जिद और ईदगाह नमाजियों से गुलजार है, सुन्नत (मुहम्मद की परंपराओं) के अनुसार विशेष नमाज़ पढ़ी जाएगी। नमाज का सिलसिला सुबह छह बजे से शुरू हुई। अंतिम नमाज लंगड़ा हाफिज मस्जिद में 10:30 बजे अदा हुई।

सुबह छह बजे से दिन में 10.30 बजे तक विभिन्न मस्जिदों व ईदगाहों में नमाज अदा होगी। जामा मस्जिद बर्नापुर 7.00 बजे, मस्जिद ज्ञानवापी 7.30 बजे, जामा मस्जिद नदेसर 7.15 बजे, मस्जिद आलमगीरी धरहरा 8.00 बजे, मस्जिद नवाब टोंक गिलटबाजार 8.30 बजे, मस्जिद लंगड़े हाफिज नई सड़क 10.30 बजे के अलावा शिया मस्जिदों में दरगाह फातमान लल्लापुरा में 10.00 सदर इमामबाड़ा में 10.30 बजे नमाज अदा की गई। ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज सुबह-सुबह इसलिए होती है कि लोगों को आवास आकर कुर्बानी करनी होती है।

इससे पहले रविवार को विश्व शांति, सौहार्द और बरकत की कामना के साथ मस्जिदों में अकीदतमंदों ने दुआख्वानी की। प्रमुख मस्जिदों में लंगड़ा हाफिज, नदेसर जामा मस्जिद, लोहता, मदनपुर, रेवड़ी तालाब, बेनियाबाग, रेवड़ी तालाब सहित सभी मस्जिदों में दुआख्वानी की गई।

रविवार की रात तक गुलजार रहे बाजार

सोमवार यानि आज इस्लामी कैलेंडर के अंतिम माह जिल्हिज्जा की 10 तारीख से कुर्बानी का त्योहार बकरीद मनाया जा रहा है। इससे पहले शनिवार और रविवार को पूरी रात बाजार गुलजार रहे। सड़कों पर चहल पहल नजर आई, तो लोग बकरीद की तैयारियों में व्यस्त दिखे।

सेवईयों के साथ, तिरंगा फेनी, डबल फेनी व लाल फेनी की बिक्री सबसे अधिक रही। इसके साथ ही खजूर, ड्राइफ्रूट, चॉकलेट की भी बिक्री हुई। मस्जिदों में हुई दुआ ए अर्फाबकरीद की पूर्व संध्या पर शहर भर की मस्जिदों में दुआ ए अर्फा का आयोजन किया गया। कई स्थानों पर लकड़ी के कुंदे, चटाई, खोआ, सेवईं आदि की भी अस्थाई दुकानें लगी थीं। दुकानों पर भी ग्राहकों की भीड़ थी।

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बकरा मंडी में कुर्बानी के बकरों की खरीदारी भी सारी रात होती रही। अधिकांश मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों में बकरों के बाजार जैसे नजर आ रहे थे। भेलूपुर स्थित ललिता सिनेमा परिसर, बजरडीहा, रेवड़ी तालाब, नई सड़क, गौरीगंज, शिवाला, जैतपुरा, पीलीकोठी, पठानीटोला, अर्दली बाजार, बड़ी बाजार, गौदौलिया, चौक में भीड़ नजर आई। कुछ बकरा व्यापारी घूम-घूमकर बकरों को बेच रहे थे।

बकरीद पर न फैलाएं गंदगी, इस्लाम में इजाजत नहीं- शहर मुफ्ती

मुस्लिम धर्मगुरु और समाज के प्रबुद्ध लोगों ने शांतिपूर्ण और सौहार्द के साथ पर्व मनाने की अपील की है। शहर मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने बताया कि ‘कुर्बानी पैगंबर इब्राहिम की सुन्नत है और कुर्बानी उन सब पर वाजिब की गई है। जो साहबे निसाब हैं। चाहे वो मर्द हों या औरत। अगर निसाब के बकद्र उनके पास माल है नकद या सोने-चांदी की शक्ल में तो उनके ऊपर कुर्बानी वाजिब है।

ये बहुत जीनत की चीज है। नबी ने इसकी फजीलत फरमाई की हर बाल के बदले एक नेकी लिखी जाएगी। उन्होंने कहा कि कोई अपने से नहीं करता कुर्बानी। ये अल्लाह के हुक्म के मुताबिक ही होता है।

मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने शहर के मुस्लिम भाइयों से अपील करते हुए कहा कि ‘कुर्बानी का पर्व आपसी भाईचारे के साथ मनाएं। इसके अलावा कुर्बानी के बाद जो गंदगी होती है। उसे बराए करम सड़क पर न फेकें। नगर निगम द्वारा जो जगह बनाई गई है। वहीं गंदगी को फेंकें, क्योंकि सफाई इस्लाम का जुज है और बिना उसके ईमान की बात बेमानी है।

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