मां ब्रह्मचारिणी की आरती: तप, श्रद्धा और साधना की प्रतीक

मां ब्रह्मचारिणी की आरती
खबर को शेयर करे

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ये देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं, जो तपस्या, संयम और साधना की प्रतीक मानी जाती हैं। मां ब्रह्मचारिणी की आरती गाकर भक्तजन अपने जीवन में संयम, शक्ति और तप के गुणों को आत्मसात करते हैं। इस लेख में हम मां ब्रह्मचारिणी की आरती, पूजन विधि और इससे मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डालेंगे।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती


जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।।

जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।।

कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।।

उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।।

रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।।

आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी

मां ब्रह्मचारिणी की आरती न केवल भक्त के मन को शांति देती है, बल्कि उसे आत्मबल, संयम और साधना की राह पर अग्रसर भी करती है। जो भी भक्त श्रद्धा और नियम से मां की आरती करता है, उसे जीवन में सफलता, ज्ञान और आत्मिक बल प्राप्त होता है। इस नवरात्रि में आप भी आरती करें और मां ब्रह्मचारिणी की असीम कृपा प्राप्त करें।

मां ब्रह्मचारिणी पूजन विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजन स्थल को शुद्ध कर सफेद कपड़ा बिछाएं।
  • मां ब्रह्मचारिणी की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
  • हाथ में जल, फूल लेकर संकल्प लें।
  • मां को सफेद फूल, अक्षत, कुमकुम और चंदन अर्पित करें।
  • गंगाजल या शुद्ध जल से चरण धोने की क्रिया करें।
  • दीपक, अगरबत्ती, धूप जलाएं।
  • नैवेद्य में मिश्री, फल और पंचामृत अर्पित करें।
  • मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और घंटी बजाएं।
  • अंत में क्षमा प्रार्थना करें और प्रसाद वितरित करें।
इसे भी पढ़े -  Hanuman Ashtak in Hindi | हनुमान अष्टक इन हिंदी

मां ब्रह्मचारिणी की आरती करने के लाभ

  • आत्मिक शांति और साधना में सफलता मिलती है।
  • जीवन में संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करने की शक्ति मिलती है।
  • विद्या, ज्ञान और तप में वृद्धि होती है।
  • कठिन परिस्थितियों में मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
  • सच्चे प्रेम, समर्पण और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
  • नवरात्रि के दौरान आरती करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
Shiv murti
Shiv murti