मलयालम सिनेमा के महान अभिनेता मोहनलाल अपनी आगामी फिल्म ‘बारोज’ को लेकर चर्चा में हैं। यह फिल्म उनकी पहली निर्देशित फिल्म है, और इसे लेकर वह काफी उत्साहित हैं। हाल ही में उन्होंने एक साक्षात्कार में बच्चों और बचपन पर अपने विचार साझा किए। उनका कहना है कि वे खुद को आज भी एक बच्चे के रूप में देखते हैं और हमेशा कुछ नया और रोमांचक सीखने की कोशिश करते हैं।
मोहनलाल ने कहा, “आज के बच्चे तेजी से स्क्रीन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वे गेम खेलने, वीडियो देखने और सोशल मीडिया पर समय बिताने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं। हालांकि, यह उनके बचपन की कई महत्वपूर्ण बाहरी गतिविधियों की कीमत पर हो रहा है। पहले बच्चे पेड़ों पर चढ़ते थे, खेतों में खेलते थे और कहानियां सुनाया करते थे। ये गतिविधियां उनके बचपन का अभिन्न हिस्सा थीं और उनकी रचनात्मकता को निखारने का जरिया थीं। आज, ऐसे क्षण दुर्लभ हो गए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगा कि हमें बच्चों के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए जो उनके बचपन को फिर से संजीवनी दे सके। ‘बारोज’ इसी सोच का परिणाम है।”
‘बारोज’ की कहानी और निर्देशन का अनुभव
मोहनलाल ने बताया कि ‘बारोज’ बच्चों के लिए एक खास फिल्म है, जो टेक्नोलॉजी और स्टोरीलाइन को आपस में जोड़ती है। उन्होंने इस फिल्म में कई नए प्रयोग किए हैं, जिसमें एनिमेशन और खास इफेक्ट्स का उपयोग किया गया है। फिल्म में एक गाना पानी के अंदर एनिमेटेड तरीके से फिल्माया गया है, जिसे लेकर मोहनलाल बेहद उत्साहित हैं।
उन्होंने कहा, “फिल्म बनाने के लिए आपको स्पेशल कैमरा, कलर, कपड़े और मेकअप जैसी चीजों की जरूरत होती है। यहां हर दिन कुछ नया सीखने का मौका मिलता है। मैंने पिछले 47 सालों में बहुत काम किया है, लेकिन इस बार यह अनुभव अलग है। मैं खुद को आज भी एक बच्चा मानता हूं और हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करता हूं।”
निर्देशन की चुनौती और जुनून
फिल्म निर्देशन के बारे में बात करते हुए मोहनलाल ने कहा, “फिल्म बनाना धैर्य और जुनून का काम है। यह प्रक्रिया बहुत मुश्किल होती है और हर दिन नई चुनौतियां लेकर आता है। पोस्ट प्रोडक्शन का हिस्सा सबसे कठिन होता है क्योंकि इसमें बहुत सारी बारीकियों का ध्यान रखना पड़ता है। फिल्म बनाने के लिए आपको जुनून और ईमानदारी की जरूरत होती है।”
उन्होंने आगे बताया कि निर्देशन ने उन्हें एक नई दृष्टि दी है। उन्होंने कहा, “यह अनुभव मेरे लिए एक नया सफर है। यह सिर्फ तकनीकी काम नहीं है, बल्कि एक कहानी को जीवंत बनाने की प्रक्रिया है। निर्देशक होने के नाते आपको हर छोटे से छोटे विवरण पर ध्यान देना होता है। यह एक तरह से खुद को फिर से गढ़ने जैसा है।”
बच्चों के लिए फिल्मों की जरूरत
मोहनलाल का मानना है कि बच्चों के लिए ऐसी फिल्में बननी चाहिए जो उन्हें प्रेरित करें और उनके बचपन को समृद्ध बनाएं। उन्होंने कहा, “आज बच्चों को ऐसी कहानियां चाहिए जो उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा दें। हम अक्सर देखते हैं कि बच्चे स्क्रीन पर समय बिताते हुए अपनी कल्पनाशक्ति खो देते हैं। ‘बारोज’ के माध्यम से मैं बच्चों को एक नई दुनिया दिखाना चाहता हूं, जो उनकी सोच को प्रेरित करे।”
‘बारोज’ में एनिमेशन और टेक्नोलॉजी का अनोखा मेल
फिल्म की टेक्नोलॉजी पर बात करते हुए मोहनलाल ने कहा, “हमने ‘बारोज’ में टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया है। फिल्म में एनिमेटेड गाने, विशेष कैमरा एंगल्स और विजुअल इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया गया है। यह फिल्म बच्चों के लिए एक विजुअल ट्रीट होगी। टेक्नोलॉजी और स्टोरीलाइन का यह मेल फिल्म को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।”
बच्चों के बचपन को सहेजने की कोशिश
मोहनलाल ने कहा, “हमारे बचपन में जो आश्चर्य और जुड़ाव के क्षण थे, वे अब कम होते जा रहे हैं। बच्चे अब अपनी रचनात्मकता को वैसे नहीं तलाशते, जैसे पहले किया करते थे। ‘बारोज’ के माध्यम से मैं बच्चों को यह संदेश देना चाहता हूं कि उनकी कल्पनाशक्ति ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।”
एक नई शुरुआत
मोहनलाल ने कहा कि ‘बारोज’ उनके लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। उन्होंने कहा, “मैंने अपने करियर में बहुत कुछ सीखा है, लेकिन निर्देशन ने मुझे एक नई दिशा दी है। यह मेरे लिए एक आत्म-अन्वेषण का सफर है।”
फिल्म निर्देशन का सफर
मोहनलाल ने निर्देशन के सफर को लेकर कहा, “यह एक ऐसी यात्रा है जहां हर दिन आप कुछ नया सीखते हैं। निर्देशन ने मुझे धैर्य, दृढ़ता और सृजन की महत्ता सिखाई है। यह सिर्फ कैमरे के पीछे खड़े होकर निर्देश देने का काम नहीं है, बल्कि हर पल उस कहानी को जीने का अनुभव है।”