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ज्ञान का प्रकाश पुंज है मिथिला

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ज्ञान विज्ञान की धरती है मिथिला

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समारोह में मिथिला रत्न से सम्मानित हुई विभूतियाँ

मिथिला पेंटिंग,सिक्की पेंटिंग और मिथिला साहित्य रहे आकर्षण के केन्द्र

वाराणसी|मैथिल समाज, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित 14 वां महाकवि विद्यापति महोत्सव का शुभारम्भ नागरीप्रचारिणी सभा, मैदागिन,वाराणसी में आयुष मंत्री स्वतंत्र प्रभार डा दया शंकर मिश्रा दयालु गुरु,नागरीप्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ल , प्रो आरआर झा, प्रो जय शंकर झा द्वारा महाकवि विद्यापति के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलन करके किया गया। तत्पश्चात् संस्था के अध्यक्ष निरसन कुमार झा, एडवोकेट ने मुख्य अतिथि आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्रा दयालु गुरु को महाकवि विद्यापति का चित्र, पाग, दुपट्टा, माला पहनाकर सम्मानित किया।

समारोह में सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका डा सुष्मिता झा,दरभंगा के लोकप्रिय गायक मनीष कुमार खंडेलवाल,रेल भवन नई दिल्ली में कार्यकारी निदेशक के पद पर तैनात अजीज झा,ख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ डा आलोक चौधरी, प्रधान वरिष्ठ वाणिज्य अधिकारी शिव कुमार प्रसाद को मिथिला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया|

समारोह के मुख्य दया शंकर मिश्रा दयालु गुरु ने कहा कि मिथिला ज्ञान विज्ञान का केन्द्र प्राचीनकाल से रहा है। गौतम ऋषि, याज्ञवल्क्य, महान् अर्थशास्त्री, चाणक्य, महान् दार्शनिक मण्डन मिश्र जैसे विद्वानों की भूमि मिथिला रही है, जिन्होंने अपने ज्ञान के प्रकाश से सम्पूर्ण भारत को गौरवान्वित किया है। सही मायने में मिथिला ज्ञान का प्रकाश पुंज है।

मुख्य वक्ता पद से बोलते बीएचयू हिन्दी विभाग के डा अशोक ज्योति ने कहा कि महाकवि विद्यापति विलक्षण प्रतिभा के कवि थे। कर्मकाण्ड हो या धर्म, दशन हो या न्याय, सौन्दर्यशास्त्र हो या भक्ति रचना, विरह-व्यथा हो या न्याय सभी क्षेत्रों में विद्यापति अपनी कालजयी रचना के लिये जाने जाते हैं।

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अध्यक्ष पद से बोलते हुए अंग्रेजी विभाग बीएचयू के वरिष्ठ प्रो जय शंकर झा ने कहा कि कवि कोकिल विद्यापति भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। विद्यापति की भक्ति भावना उनके वाक्य में स्पष्ट दिखायी देती है। विद्यापति की भक्ति से खुश होकर साक्षात् भगवान शिव चारवाहा का भेष धारण कर उनके काव्य को सुनने के लिये अगना के रूप में उनके आश्रम में आते थे। जब तक शिव के वास्तविक स्वरूप का विद्यापति का ज्ञान होता वो उगना (शिव) अन्तध्यान हो गये। भगवान शिव शंकर के वियोग में ही विद्यापति ने उगना महादेव की स्थापना बिष्पी गाँव में की। विद्यापति पदावली, मणि मंजरी, भूपरिक्रमा, कीर्तिलता, शैव सर्व स्वसार, कीर्ति पताका विद्यापति की प्रमुख रचनायें हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारम्भ लोकप्रिय शास्त्रीय और मैथिली गायिका दिल्ली की डा सुष्मिता झा ने

  1. जय जय भैरवी असुर…
  2. पिया मोर बालक हम तरुनी गे
  3. ऐहन सुन्दर मिथिला धाम…

दरभंगा के किराना घराना के प्रसिद्ध गायक मनीष कुमार खंडेलवाल ने

(क) उगना हमर कतह गेला…
ख-सिया कुमारी मिथिला के दुलारी
ग-कुंज भवन सं निकसल रे गिरधारी

डा0 जया रॉय व बृष्टि चक्रवर्ती के नृत्य निर्देशन में मिथिला का लोकनृत्य समाचकैबा,विद्यापति की रचना जय जय भैरवी और लोक महापर्व डाला छठ पर भावपूर्ण नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति कलाकारों ने दी।

विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यकारी निदेशक रेल भवन नई दिल्ली अजीत झा, जीएम हाजीपुर बिहार शिव कुमार प्रसाद, बीएचयू के डा अशोक ज्योति,डा प्रभाष मिश्रा उपस्थित रहे|

समारोह का संचालन व संयोजन गौतम कुमार झा एडवोकेट, स्वागत प्रो आर आर झा ने स्वागत किया|धन्यवाद ज्ञापन संस्था के अध्यक्ष निरसन कुमार झा एडवोकेट ने किया।स्वागत गीत डा विजय कपूर ने गाया| कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ख्यात चित्रकार दास पुष्कर, सुधीर चौधरी, भोगेन्द्र झा,नटवर झा. एनके सिंह,अनीशा शाही आदि शामिल रहे।

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समारोह में मिथिला पेंटिंग, सिक्की पेंटिंग, पाग और मिथिला साहित्य का स्टाल लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहा।

भवदीय,
गौतम कुमार झा
कार्यक्रम संयोजक

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Aditya