सोनाली पटवा
हरितालिका तीज का महत्व
हरितालिका तीज हिंदू धर्म में विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जिसे शिव और पार्वती की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। अविवाहित लड़कियां भी अच्छा पति पाने की कामना से यह व्रत रखती हैं।
व्रत की तैयारी
व्रत रखने वाली महिला एक दिन पहले ही संकल्प लेती है। सुबह स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करती हैं। पूजा के लिए मिट्टी से शिवलिंग, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं।
महिलाएं 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें जल तक ग्रहण नहीं किया जाता।
पूजा विधि
- स्नान और शुद्धिकरण: पूजा से पहले स्नान कर शरीर और मन को शुद्ध करें।
- मूर्ति स्थापना: पूजा स्थान पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियों को स्थापित करें।
- पूजन सामग्री: पूजन के लिए आमतौर पर 16 प्रकार के श्रृंगार, फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (मिठाई), पंचामृत, और बेलपत्र की आवश्यकता होती है।
- पूजा आरंभ: सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। जल, चंदन, फूल, धूप और दीप से अर्पित करें।
- कथा सुनना: हरितालिका तीज की कथा सुनना व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कथा सुनकर महिलाएं अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।
- आरती: पूजा के अंत में शिव-पार्वती की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
व्रत का पारण
व्रत का पारण अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद किया जाता है। महिलाएं पूजा के बाद भगवान से सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं।
इस प्रकार हरितालिका तीज का व्रत पूरी निष्ठा और श्रद्धा से किया जाता है।