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अमेरिकी फेड के फैसले से बाजार में हड़कंप

अमेरिकी फेड के फैसले से बाजार में हड़कंप
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अमेरिका में ब्याज दरों में कम कटौती के अनुमान ने निवेशकों को बेचैन कर दिया है। इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखा गया, जहां गुरुवार सुबह बाजार ने बड़ी गिरावट के साथ शुरुआत की।

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शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी धड़ाम


भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स ने शुरुआती कारोबार में 1,162.12 अंक की गिरावट दर्ज की और यह 79,020.08 पर आ गया। वहीं, निफ्टी 328.55 अंक गिरकर 23,870.30 के स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में अगले साल कम कटौती के अनुमान ने निवेशकों के बीच बेचैनी बढ़ाई, जिसका सीधा असर भारतीय बाजारों पर पड़ा।

बिकवाली के चलते निवेशकों को बड़ा नुकसान


लगातार चौथे दिन बाजार में बिकवाली का दबाव बना हुआ है। बुधवार को हुई भारी गिरावट से बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 5.94 लाख करोड़ रुपये घटकर 446.66 लाख करोड़ रुपये रह गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भी 1,316.81 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।

चार दिन में 12 लाख करोड़ का नुकसान


बीते चार दिनों की गिरावट के कारण निवेशकों को कुल 12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। बुधवार को सेंसेक्स 502.25 अंक टूटकर 80,182.20 पर और निफ्टी 137.15 अंक गिरकर 24,198.85 पर बंद हुआ।

अमेरिकी बाजार में गिरावट का भारतीय बाजार पर असर


अमेरिका के डाओ जोंस इंडेक्स ने बुधवार को 1,123 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की और यह 42,336.87 पर बंद हुआ। नैसडैक इंडेक्स भी 600 अंकों से अधिक गिरा। विशेषज्ञों का मानना है कि फेड 2025 में ब्याज दर में चार के बजाय केवल दो कटौतियां करेगा। इस खबर ने निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित किया, जिससे वॉल स्ट्रीट समेत एशियाई और भारतीय बाजारों में भी गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया।

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भारतीय बाजार में कंपनियों के शेयरों पर असर


सेंसेक्स की 30 सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में नुकसान देखा गया। इंफोसिस, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, टाटा स्टील, एशियन पेंट्स, बजाज फिनसर्व, और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों के शेयर सबसे ज्यादा गिरे। इस गिरावट ने बाजार में कमजोरी का माहौल बना दिया है।

डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर


डॉलर के मुकाबले रुपया 12 पैसे गिरकर 85.06 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया कमजोर रुख के साथ खुला और 85.00 के स्तर को पार कर गया। यह लगातार गिरावट का संकेत है, जिससे आयातकों और व्यापारियों पर दबाव बढ़ेगा।

लंबे समय से गिरावट का दौर


डाओ जोंस इंडेक्स पिछले 10 दिनों से लगातार गिर रहा है। यह 1974 के बाद दूसरी सबसे लंबी गिरावट है। 1974 में यह सूचकांक 11 सत्रों तक लगातार गिरा था। इस ऐतिहासिक गिरावट का असर अब भारतीय बाजार पर भी दिख रहा है।

कमजोर वैश्विक संकेत और घरेलू दबाव


अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में कम कटौती के अनुमान और कमजोर वैश्विक संकेतों ने भारतीय बाजार को झकझोर दिया है। निवेशकों की बेचैनी और बिकवाली के दबाव ने बाजार को कमजोर बना दिया है।

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