नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री देवी का मंगला श्रृंगार दर्शन

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नवरात्रि के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा और दर्शन का विशेष महत्व होता है। देवी सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की प्रदाता मानी जाती हैं, और भक्तों को उनके दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन माता का मंगला श्रृंगार विशेष आकर्षण का केंद्र होता है, जहां वे अत्यंत मनमोहक रूप में सुशोभित होती हैं।

माता सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत शांत और करुणामय है। वह चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथों में शंख, चक्र, गदा, और कमल सुशोभित हैं। इनके मस्तक पर दिव्य मुकुट और गले में रत्नजड़ित हार की माला होती है। माता के वस्त्र और आभूषण अत्यंत सुंदर होते हैं, जिनमें सुनहरे और लाल रंग का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। यह रंग शक्ति और उन्नति का प्रतीक माना जाता है, और माता की कृपा से भक्तों को संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

मंगला श्रृंगार के दौरान माता के चरणों में सुंदर फूलों की माला चढ़ाई जाती है, और भक्तजन अपनी आस्था के अनुसार उनके सामने दीप जलाते हैं। माता का आसन कमल के फूल से बना होता है, जो आध्यात्मिकता और शक्ति का प्रतीक है।

मंदिरों में इस दिन माता के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। भक्तजन नवरात्रि के नौवें दिन उपवास रखते हुए माता सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी के मंगला श्रृंगार के दर्शन से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है, और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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नवरात्रि के इस अंतिम दिन, माता सिद्धिदात्री के मंगला श्रृंगार के दर्शन से मन को असीम शांति और ऊर्जा मिलती है, और भक्तों के लिए यह दिन विशेष धार्मिक महत्व रखता है।