“महामृत्युंजय गायत्री मंत्र: जीवन रक्षक मंत्र की अद्भुत शक्ति”

महामृत्युंजय गायत्री मंत्र
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हमारे सनातन धर्म में मंत्रों का अत्यंत गूढ़ महत्व है। विशेषकर जब बात आती है जीवन रक्षा और स्वास्थ्य की, तो महामृत्युंजय गायत्री मंत्र दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण एक अद्भुत उपाय माना गया है। यह मंत्र न केवल मृत्यु जैसे भय से रक्षा करता है, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्ति भी प्रदान करता है। इस लेख में हम इस मंत्र की विदि, लाभ और उसकी आध्यात्मिक गहराई को सहज व सरल भाषा में जानेंगे।

मंत्र का पाठ:

“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।”

महामृत्युंजय गायत्री मंत्र केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि यह भगवान शिव की कृपा का जीवंत स्वरूप है। जो भी श्रद्धा और नियमपूर्वक इस मंत्र का जाप करता है, उसे जीवन के हर क्षेत्र में चमत्कारी लाभ अनुभव होता है। यदि आपको यह लेख लाभकारी लगा हो, तो आप शिव पंचाक्षर मंत्र, ॐ नमः शिवाय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र और रुद्राष्टक स्तोत्र जैसे अन्य शिव मंत्रों और स्तोत्रों को भी अवश्य ये भी आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेंगे।

मंत्र जप की विधि

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान कर लें व स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शांत और पवित्र वातावरण में बैठें।
  2. आसन व दिशा: कुशासन या चटाई पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना श्रेष्ठ होता है।
  3. संकल्प: अपने मन में इस मंत्र के जप का उद्देश्य स्पष्ट करें — जैसे आरोग्य, आयु वृद्धि, भय नाश आदि।
  4. जाप संख्या: इस मंत्र का जाप 108 बार करना अत्यंत फलदायी होता है। यदि समय हो तो 11 माला करें।
  5. रुद्राक्ष माला: रुद्राक्ष की माला से जाप करना विशेष लाभकारी माना गया है।
  6. दीप और धूप: सामने एक दीपक जलाएं, और गंगाजल या ताम्र पात्र में जल रखकर मंत्र का जाप करें।
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मंत्र के लाभ

  • स्वास्थ्य में सुधार: यह मंत्र शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और दीर्घकालिक बीमारियों से रक्षा करता है।
  • मानसिक शांति: नकारात्मक विचारों, भय और तनाव से मुक्ति दिलाकर मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।
  • मृत्यु से रक्षा: कहते हैं कि यह मंत्र अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से रक्षा करता है और जीवन में नयी ऊर्जा भरता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: मंत्र का नियमित जाप साधक को आत्मज्ञान की ओर ले जाता है और शिव तत्व से जोड़ता है।
  • परिवार की रक्षा: यदि पूरे परिवार के लिए इसका संकल्प लेकर जाप किया जाए, तो यह समस्त परिजनों की रक्षा करता है।