महाकुंभ 2025: पर्यावरण बाबा का अनोखा अंदाज, हीरे की घड़ी, सोने का हार और दस कंगन पहनकर कुंभ में पहुंचें

महाकुंभ 2025
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प्रयागराज, जनवरी 2025: महाकुंभ की तैयारी जोरों पर है और हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस पवित्र आयोजन में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं। लेकिन इस बार महाकुंभ में कुछ खास देखने को मिलेगा। कुंभ नगरी में पहुंचे हैं एक ऐसे बाबा, जिन्हें लोग अब ‘पर्यावरण बाबा’ के नाम से जानते हैं। इनके पहनावे और तरीके इतने अलग हैं कि ये किसी साधु से कम नहीं लगते, लेकिन इनकी विचारधारा और उद्देश्य पूरे महाकुंभ में एक नया रंग जोड़ने का है।

इन बाबा का लक्ष्य न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जागरूकता फैलाना भी है। इस बार महाकुंभ में ‘पर्यावरण बाबा’ अपनी एक अनोखी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, जिसमें वे न केवल पूजा-पाठ करते दिखेंगे, बल्कि वह श्रद्धालुओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का भी काम करेंगे।

हीरे की घड़ी और सोने का हार – पर्यावरण बाबा का भव्य लुक

पर्यावरण बाबा की उपस्थिति महाकुंभ में और भी दिलचस्प होगी, क्योंकि उनका पहनावा बिल्कुल अलग होगा। वह किसी साधारण बाबा की तरह लंगोट और खादी के कपड़े नहीं पहनेंगे। बल्कि, वह पहने होंगे हीरे की घड़ी, सोने का हार, और दस कंगन। यह बाबा अपने भव्य लुक के साथ ध्यान आकर्षित करते हुए लोगों के बीच पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाएंगे। उनकी यह अनोखी शैली न केवल श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगी, बल्कि उन्हें यह संदेश भी देगी कि पर्यावरण का संरक्षण केवल साधारण तरीके से नहीं, बल्कि हर स्तर पर ध्यान और प्रयास से किया जा सकता है।

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पर्यावरण बाबा ने अपनी इस शैली को दर्शाने का एक खास कारण बताया है। उनका कहना है कि आजकल के समाज में पर्यावरण का मुद्दा केवल गरीबी, असमानता और विकास के साथ जोड़ा जाता है, लेकिन इसका संबंध हर वर्ग और हर व्यक्ति से है। और यह संदेश देने के लिए उनका लुक भी एक तरह का प्रतीक है।

महाकुंभ के दौरान पर्यावरण जागरूकता फैलाने की पहल

महाकुंभ जैसा भव्य आयोजन हमेशा से अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार पर्यावरण का मुद्दा भी इसकी मुख्य धारा में आ रहा है। ‘पर्यावरण बाबा’ की पहल का उद्देश्य यही है कि इस महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु केवल धार्मिक कृत्यों तक सीमित न रहें, बल्कि वे अपने पर्यावरणीय दायित्वों को भी समझें और उन्हें लागू करें।

पर्यावरण बाबा महाकुंभ के दौरान वृक्षारोपण, जल संरक्षण, कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक मुक्त समाज जैसे मुद्दों पर लोगों को जागरूक करेंगे। उनके अनुसार, महाकुंभ के आयोजन में एकजुटता का जो संदेश दिया जाता है, वही एकजुटता पर्यावरण संरक्षण में भी लागू होनी चाहिए। उनके पास पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई छोटे-छोटे सुझाव हैं, जिन्हें वे कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को समझाएंगे और उनके जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे।

पर्यावरण जागरूकता में बदलाव की उम्मीद

महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु न केवल धार्मिक गतिविधियों में भाग लेंगे, बल्कि यह एक अवसर भी है जब ये लोग समाज में कुछ बदलाव लाने के लिए अपने जीवन को नया दिशा दे सकते हैं। पर्यावरण बाबा का उद्देश्य है कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझे और उसे निभाएं।

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इतिहास गवाह है कि महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव का भी एक प्रभावी माध्यम बन सकता है। पर्यावरण बाबा ने यह संदेश देने का जिम्मा उठाया है कि कैसे हम सब मिलकर अपनी छोटी-छोटी कोशिशों से पर्यावरण को बचा सकते हैं और इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर सकारात्मक रूप से डाले जा सकता है।