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हिरासत में मौत पर तीन पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास, जुर्माना भी

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लखनऊ। करीब 24 साल पहले बक्शी का तालाब (बीकेटी) थाने में हिरासत के दौरान वीरेंद्र सिंह की मौत में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश सोमप्रभा ने तीन पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास और 29-29 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पांच अन्य पुलिसकर्मियों को सबूत छिपाने का दोषी करार देते हुए पांच-पांच साल की कैद और दो-दो हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। इस मामले में आरोपी अरशद अली, अब्दुल रहमान की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। सरकारी अधिवक्ता नवीन त्रिपाठी ने कोर्ट में बताया कि मामले की रिपोर्ट विशंभर सिंह ने 24 अगस्त 2000 को बीकेटी थाने में दर्ज कराई थी। इसके मुताबिक 23 अगस्त को आरोपी सिपाही राम प्रभाव शुक्ला, अवध नाथ चौहान, चन्द्र किरण राठौर और गुलाब चंद्र रामपुर बेहटा निवासी बाबू पासी के साथ आए और एक मुकदमे की जानकारी देते हुए उसके छोटे भाई वीरेंद्र सिंह को साथ ले गये। आरोपी राम प्रभाव ने वीरेंद्र को छोड़ने के एवज में पांच हजार रुपए मांगे थे। विशंभर ने आरोप लगाया कि उसने एक हजार रुपये तुरंत दे दिया। अगले दिन वह बाकी रुपये देने गया तो पुलिसवालों ने बताया कि उसके भाई ने आत्महत्या कर ली है। विशंभर ने आरोप लगाया कि पुलिसवालों ने वीरेंद्र की हवालात के रोशनदान से लटकाकर हत्या कर दी। सिपाही गुलाब चंद्र, राम प्रभाव, अवध नाथ चौहान को आजीवन कारावास व प्रत्येक पर 29-29 हजार रुपये जुर्माना लगाया। राम प्रसाद प्रेमी, उदय नारायण, अनिल कुमार मिश्र, नरेंद्र व मुल्लू राम को पांच-पांच साल कैद।

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