पेरिस पैरालंपिक में भारत ने अपना पांचवां मेडल जीत लिया है। इस बार शूटर रुबीना फ्रांसिस ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर देश का मान बढ़ाया। 25 साल की रुबीना ने अपनी कठिनाइयों पर विजय पाते हुए यह महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। रुबीना फ्रांसिस को रिकेट्स नामक बीमारी है, जिसके कारण उनके पैरों में 40 प्रतिशत दिव्यांगता है।
इसके बावजूद रुबीना ने अपने खेल के प्रति जुनून और समर्पण से अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। उनकी इस उपलब्धि ने पूरे देश को गर्व महसूस कराया है और दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत बनी हैं। रुबीना का यह संघर्ष और सफलता यह दिखाते हैं कि अगर किसी में दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास हो, तो वह किसी भी कठिनाई पर विजय प्राप्त कर सकता है।
रुबीना की इस उपलब्धि से भारतीय पैरालंपिक टीम को एक और मेडल मिला है, जिससे भारत की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। यह मेडल देश के लिए एक प्रेरणा बन गया है और रुबीना फ्रांसिस की सफलता ने भारतीय खेलों में एक नई ऊर्जा भर दी है।