एम्स की एनाटॉमी विभाग की प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने हाल ही में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के बारे में चेतावनी दी है, जो नैनो प्लास्टिक कणों के शरीर में प्रवेश करने से जुड़ी है। उनका कहना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) और अन्य प्लास्टिकयुक्त उत्पादों के अत्यधिक उपयोग के कारण छोटे-छोटे प्लास्टिक कणों का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। ये नैनो प्लास्टिक कण हवा, पानी और खाद्य पदार्थों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे बांझपन, नपुंसकता, मधुमेह, कैंसर, थायराइड और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
कैसे नैनो प्लास्टिक कण शरीर में प्रवेश कर रहे हैं
डॉ. रीमा दादा के अनुसार, सिंगल यूज प्लास्टिक के अलावा अन्य प्लास्टिक युक्त वस्तुओं का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। ये प्लास्टिक कण धीरे-धीरे इतना छोटा हो जाते हैं कि इनका आकार 5 मिलीमीटर से भी कम रह जाता है, जिन्हें नैनो प्लास्टिक कण कहा जाता है। इन कणों का आकार इतना छोटा होता है कि यह हवा, पानी और खाद्य पदार्थों के माध्यम से आसानी से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
कई शोधों में यह बात सामने आई है कि एक व्यक्ति साल भर में 11,000 से लेकर 1.93 लाख माइक्रो प्लास्टिक कण निगल सकता है। यह कण न केवल हमारे शरीर के अंदर जाते हैं, बल्कि अंगों और टिश्यू में भी जमा हो जाते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक और स्वास्थ्य पर प्रभाव
सिंगल यूज प्लास्टिक के लगातार उपयोग से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा बन चुका है। इस प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण धीरे-धीरे टूटकर हवा, पानी और भोजन के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, ये कण शरीर के अंदर विभिन्न अंगों और कोशिकाओं में जमा हो जाते हैं।
डॉ. रीमा दादा ने बताया कि ये नैनो प्लास्टिक कण सर्टोली सेल्स, जेम्स सेल और अन्य कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। सर्टोली सेल्स पुरुषों में शुक्राणु उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं, और जेम्स सेल्स महिलाओं में अंडाणु निर्माण में सहायक होते हैं। इन कोशिकाओं के प्रभावित होने से महिलाओं में बांझपन और पुरुषों में नपुंसकता जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
नैनो प्लास्टिक के प्रभाव: गंभीर बीमारियों का खतरा
डॉ. दादा ने चेतावनी दी कि नैनो प्लास्टिक कणों के शरीर में प्रवेश करने से बांझपन और नपुंसकता का खतरा बढ़ रहा है। इसके अतिरिक्त, इन कणों के शरीर में जमा होने से मधुमेह, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, थायराइड विकार, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की संभावना भी बढ़ जाती है। इन कणों के शरीर में प्रवेश करने के कारण, शरीर के विभिन्न अंगों और कोशिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे इन बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
वैज्ञानिक अध्ययन और शोध
जेएसएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी में आयोजित सम्मेलन में माइक्रो प्लास्टिक पर चर्चा की गई, जहां विभिन्न वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए। शोधों में यह पाया गया कि नल के पानी, बोतलबंद पानी, बीयर, नमक और अन्य पेय पदार्थों में माइक्रो प्लास्टिक के कण पाए गए हैं। एक व्यक्ति वर्षभर में औसतन 11,000 से लेकर 1.93 लाख माइक्रो प्लास्टिक कण निगल सकता है।
इस शोध ने यह स्पष्ट किया है कि नैनो और माइक्रो प्लास्टिक कण हमारे शरीर के अंदर विभिन्न तरीकों से प्रवेश कर रहे हैं, और यह मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरे का कारण बन रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, इन कणों के शरीर में जमा होने से कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं।
नैनो प्लास्टिक के प्रभाव से बचाव के उपाय
डॉ. रीमा दादा ने यह भी बताया कि नैनो प्लास्टिक के खतरों से बचने के लिए हमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कम करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, जीवनशैली में बदलाव की जरूरत है, ताकि हम इन नैनो प्लास्टिक कणों से बच सकें। इसके लिए, प्लास्टिक के उत्पादों का उपयोग कम करने और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों का चयन करना महत्वपूर्ण है।