कांची कामकोटिश्वर मन्दिर प्रांगण में परम तपस्वी, विरक्त संत स्वामी कष्णानंद सरस्वती (नारायण) स्वामी के स्मृति में पांच घण्टा चला शास्त्रार्थ

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विरक्त संत स्वामी कृष्णानंद सरस्वती (नारायण) स्वामी के नाम पर गोष्ठी कमेटी एवं उनकी तपस्वी जीवनी एवं उनके द्वारा किये गए धर्म कार्य पर पुस्तक प्रकाशित करने का हुआ निर्णय

वाराणसी।यति शिरोमणि परमपूज्य श्री श्री कृष्णानन्द सरस्वती (नारायण) स्वामीजी महाराज जी के स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन वैशाख कृष्ण प्रतिपदा को प्रातः काल 8 बजे से मध्यान्ह 01 बजे तक कांची कामकोटिश्वर मन्दिर प्रांगण हनुमान घाट में पांच घण्टा संतो, विद्वानो, वेद पाठियो का चला शास्त्रार्थ एवं भक्तो ने तपस्वी स्वामी जी के सानिध्य में काशी महात्म्य के अनुसार किये गए काशी यात्राये, अनुष्ठानो, प्रवचनो एवं सद्कर्मो को याद कर हुये भावविभोर । अध्यक्षता करते हुये यति श्री श्री अमृतानन्द सरस्वती स्वामीजी महाराज ने कहा कि स्वामी कृष्णानंद सरस्वती महान तपस्वी एवं परमज्ञानी संन्यासी थे वे संन्यास धर्म के कठिन एवं उच्च नियम को पालन करने वाले काशी ही नही अपितु पूरे जगत के विलक्षण सन्यासी थे, जिनके दिखाये गए धर्म के मार्ग को आगे बढ़ाना ही उनके प्रति सबसे सच्ची श्रद्धान्जली और भावान्जली होगी।
श्रद्धान्जली सभा में स्वामी कृष्णानंद सरस्वती जी के काशी महात्म्य के अनुसार दिखाये गये धर्म मार्ग के अनुसरण का भक्तो ने लिया संकल्प ।
भक्त विनय शंकर राय “मुन्ना” ने कहा कि विरक्त संत दण्डी स्वामी कृष्णानंद सरस्वती (नारायण) स्वामी जी संन्यासी धर्म के 108 कठिन नियमों में से 104 नियम का अपने संन्यास जीवन में पालन करते हुये कठिन तपस्या कर काशी के महात्म्य को शुद्धता से पूर्ण कर, धर्म के क्षेत्र में अनोखा एवं उच्च प्रतिमान स्थापित किया है । 1992 में काशी में दण्ड धारण के बाद आजीवन काशी के महात्म्य के अनुसार धर्म हेतु अपने आप को समर्पित करके प्रतिदिन तीन बार गंगा स्नान करना, नंगे पांव एक कपड़े में पवित्र काशी की यात्रा सहित मंदिरो का दर्शन, पूजन, अनुष्ठान काशी खण्डोक्त महात्म्य के अनुसार करते रहे। स्वामी जी आजीवन गंगा जल पीकर एवं काल भैरव मंदिर या विशालाक्षी मंदिर का प्रसाद (मधुकरी) ग्रहण किये वही उनका आहार था।
स्वामी कष्णानंद सरस्वती जी के दुर्लभ त्याग, तपस्या और ज्ञान भरे जीवन और उनके द्वारा किये गये काशी के महात्म्य के अनुसार काशी की यात्राये सहित तिथि और त्यौहार के अनुसार पूजन एवं अनुष्ठान को उनके नाम पर गोष्ठी कमेटी गठन करने एवं पुस्तक प्रकाशित करने का निर्णय हुआ ।
श्रद्धान्जली सभा की अध्यक्षता यति स्वामी श्री अमृतानन्द सरस्वती ने किया । सभा में मुख्य रूप से कुप्पा बिल्वेश शास्त्री जी ईश्वर घनपाठी कांची मठ के प्रबंधक वी.एस.सुब्रमण्यम, विनय शंकर राय “मुन्ना”, दिव्य स्वरूप ब्रह्मचारीजी वी.चन्द्रशेखर द्राविड़, नीरज सिंह, घनपाठी गुरुप्रसाद कूरसे, सी वी सुब्रह्मण्यम सोमयाजी, आशीष रस्तोगी “किशन”, पप्पू शुक्ला, डब्लू जायसवाल, प्राचीन उपाध्याय, सुदर्शन आदि लोग की सहभागिता रही।

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