कई देशों में खाने-पीने की चीजों का एमरजेंसी रिजर्व रखा जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके। उदाहरण के लिए, हाल के वर्षों में चीन ने अपने पोर्क रिजर्व से स्टॉक मार्केट में हस्तक्षेप किया, और कनाडा ने अपने मेपल सिरप रिजर्व का उपयोग किया। अब इसी तर्ज पर पोलैंड की सरकार मक्खन की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण पाने के लिए अपने फ्रोजन बटर रिजर्व को खोलने की तैयारी में है।
मक्खन की बढ़ती कीमतों से सरकार परेशान
पोलैंड में राष्ट्रपति चुनाव अगले साल मई में होने हैं, लेकिन मक्खन की बढ़ती कीमतों ने सरकार को असहज कर दिया है। कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए सरकार ने अपने फ्रोजन बटर रिजर्व से 1,102 टन मक्खन बेचने की योजना बनाई है। इसके लिए सरकार की स्ट्रैटजिक रिजर्व एजेंसी ने मक्खन की नीलामी की घोषणा की है। एजेंसी का कहना है कि दूध की कमी के कारण दुनियाभर में मक्खन की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, और यह कदम उस स्थिति को संभालने के लिए उठाया जा रहा है।
मक्खन की नीलामी: प्रक्रिया और कीमतें
पोलैंड में मक्खन की नीलामी गुरुवार से शुरू हो गई है। एजेंसी 25 किलोग्राम के ब्लॉक्स में बिना नमक वाला फ्रोजन बटर $7 प्रति किलो की न्यूनतम कीमत पर बेचेगी। यह कीमत पोलैंड की प्रमुख सुपरमार्केट चेन बिड्रोनका में उपलब्ध ताजे मक्खन की कीमतों से काफी कम है। वहां मक्खन की कीमत $9.84 से $12.32 प्रति किलो तक है। हालांकि, नीलामी में अंतिम बिक्री मूल्य न्यूनतम मूल्य से अधिक हो सकता है।
एमरजेंसी रिजर्व का उपयोग: एक सामान्य रणनीति
आपातकालीन रिजर्व का उपयोग सरकारों द्वारा आपूर्ति बढ़ाने और कीमतें कम करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर यह रिजर्व विदेशी मुद्रा, तेल और सोने जैसे महत्वपूर्ण वस्तुओं के लिए बनाए जाते हैं। हालांकि, कुछ देशों में खाने-पीने की चीजों का भी भंडारण किया जाता है। पोलैंड में फ्रोजन बटर रिजर्व का उपयोग मक्खन की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक असामान्य लेकिन आवश्यक कदम है।
महंगाई का प्रतीक बनी मक्खन की कीमतें
हाल के वर्षों में पोलैंड में मक्खन की कीमतें महंगाई का प्रतीक बन गई हैं। प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क की पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार राफेल ट्रजास्कोव्स्की ने केंद्रीय बैंक पर महंगाई को गलत तरीके से संभालने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे जताने के लिए केंद्रीय बैंक के गवर्नर को मक्खन भेजने की पेशकश की।
दूसरी ओर, दक्षिणपंथी विपक्षी पार्टी लॉ एंड जस्टिस के नेता जारोस्लाव कासिंस्की ने मक्खन को तिजोरी में रखने वाली तस्वीर पोस्ट की। इसका उद्देश्य यह दिखाना था कि मक्खन अब कितना महंगा हो गया है।
मक्खन की कीमतों में तेज़ी के आंकड़े
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में पोलैंड में महंगाई दर 3.9% थी, जो यूरोपीय यूनियन के औसत से काफी अधिक है। पिछले साल की तुलना में रिटेल स्तर पर मक्खन की कीमतों में 20% और थोक कीमतों में 50% की बढ़ोतरी हुई है। यूरोपीय आयोग के अनुसार, इस साल यूरोपीय संघ में मक्खन की कीमतें लगभग 44% बढ़ गई हैं।
वैश्विक स्तर पर डेयरी उत्पादों के दाम में इजाफा
दुनिया भर में डेयरी उत्पादों की कीमतों में वृद्धि एक प्रमुख कारण है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, डेयरी मूल्य सूचकांक पिछले महीने एक साल पहले के मुकाबले 20% ज्यादा था। यह दिखाता है कि वैश्विक स्तर पर दूध और मक्खन जैसी वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
नतीजा: आपूर्ति नियंत्रण की रणनीति
पोलैंड सरकार का मक्खन की नीलामी का कदम महंगाई को नियंत्रित करने की एक रणनीति है। यह दिखाता है कि खाद्य पदार्थों के आपातकालीन रिजर्व का सही समय पर इस्तेमाल बाजार पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आगामी राष्ट्रपति चुनावों से पहले यह कदम सरकार के लिए जनता की राहत सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।