


मणिकर्णिका घाट की तर्ज पर लगाया गया होलिका दहन।

बनारस के पांडेयपुर चौराहे पर बिगत कई वर्षों से होलिका दहन का कार्य कर रहे क्लब ने हर बार की भाती इस बार भी कुछ अलग करने का प्रयास किया है। मणिकांका घाट की तर्ज पर लगाया गया होलिका दहन लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है उधर से गुजरने वाले हर शख्स खड़ा होकर एक सेल्फी जरूर ले रहा है।होलिका दहन, जो होली के पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इस वर्ष13 मार्च 2025 दिन वृहस्पति वार को मनाया जाएगा होलिका दहन, होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात 10:37 बजे के बाद है, क्योंकि भद्रा काल उस समय समाप्त होता है। होलिका दहन की परंपरा के पीछे पौराणिक कथा है। हिरण्यकशिपु नामक असुर राजा, जो भगवान विष्णु का विरोधी था, अपने पुत्र प्रह्लाद की विष्णु भक्ति से क्रोधित था। उसने अपनी बहन होलिका, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था, की सहायता से प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया। होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। तब से होलिका दहन समस्त भारत मे बड़े ही धूमधाम से बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
होलिका दहन की तैयारियाँ जोरों पर हैं। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में होलिका दहन के आयोजन की योजनाएँ बनाई जा रही हैं, और स्थानीय समितियाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रही हैं। सुरक्षा के मद्देनज़र, प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं ताकि त्योहार शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से मनाया जा सके। होलिका दहन के बाद, 14 मार्च को रंगों की होली मनाई जाएगी। यह दिन मित्रों और परिवार के साथ रंग खेलने, मिठाइयाँ बाँटने और उत्सव मनाने का होता है।