स्वर्वेद महामंदिर मन्दिर धाम उमरहां में कबीर प्राकट्य महोत्सव का भव्य समापन

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सद् गुरु नाम मन दीप धरु जिह देहरी द्वार, साहब बाहर भीतरहूं जो चाहत उजियार

विज्ञान देव महाराज जी
*आत्मजागृति मानवीय एकता और विचार क्रान्ति का प्रेरणास्रोत है

स्वतंत्र देव महाराज जी
दीये से दीया जलाएं’ का संदेश लेकर गन्तव्य को लौटे श्रद्धालू गण

वाराणसी जिले के चौबेपुर में स्वर्वेदन
महामंदिर धाम की दिव्य भूमि पर आयोजित सद्गुरु कबीर प्राकट्य महोत्सव का समापन एक आध्यात्मिक उत्सव के रूप में संपन्न हुआ। यह अवसर केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मजागृति, मानवीय एकता और विचार-क्रांति का प्रेरणास्रोत बन गया।
हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में समापन दिवस एक भाव-विह्वल क्षण में परिवर्तित हो गया जब संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने मंच से उद्घोष किया –
”चलो दीप वहाँ जलाएं, जहाँ अभी भी अंधेरा है”
उन्होंने कहा कि जब तक हम अपने भीतर के अंधकार को नहीं समझते, तब तक बाहर का प्रकाश भी अधूरा है। कबीर साहेब की वाणी हमें बाहर नहीं, भीतर झाँकने का दृष्टिकोण देती है।
सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्र देव जी महाराज ने विवेक, धैर्य, क्षमा एवं शांति को मानव का आभूषण बताते हुए उसको व्यवहारिक जीवन में प्रयोग करने का सन्देश दिया। मानव- मानव में परस्पर प्रेम एवं सद्भावना अत्यावश्यक है।
तपती दोपहरी में भी श्रद्धा को डिगा नहीं पाये भगवान भास्कर सदगुरु की रसधार में शीतलता कम न हुई। वैसे जगह-जगह शीतल जल की प्याऊ, छाया व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाएँ महोत्सव के प्रबंधन की उत्कृष्टता को दर्शा रही थीं।

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