भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है वह देवता जो हमारे जीवन की सभी बाधाओं और संकटों को हर लेते हैं। Ganesh Sankat Nashan Stotram एक ऐसा दिव्य स्तोत्र है जिसका पाठ करने से जीवन में आ रहे संकटों का नाश होता है और सुख, शांति एवं समृद्धि का आगमन होता है। इस लेख में हम आपको इस स्तोत्र की विधिपूर्वक पाठ विधि, लाभ और इसके महत्व के बारे में बताएंगे।
Ganesh Sankat Nashan Stotram
!! ॐ श्री गणेशायनमः !!
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम,
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये !! 1 !!
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम,
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम !! 2 !!
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च,
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् !! 3 !!
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ,
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम !! 4 !!
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर,
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो !! 5 !!
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ,
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् !! 6 !!
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्,
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: !! 7 !!
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत,
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: !! 8 !!
!! इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् !!
गणेश संकट नाशन स्तोत्र का पाठ न केवल भक्त को संकटों से उबारता है बल्कि उसे आध्यात्मिक बल भी प्रदान करता है। यह स्तोत्र श्री गणेश जी की असीम कृपा प्राप्त करने का अद्भुत माध्यम है। जो भी भक्त नियमित रूप से इसका पाठ करता है, उसके जीवन से विघ्न स्वयं दूर हो जाते हैं। यदि आप भी गणपति बप्पा की कृपा चाहते हैं तो इस स्तोत्र को मन से करें और अपने जीवन को मंगलमय बनाएं।
पाठ विधि
- प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर या स्वच्छ स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- गणेश जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- उन्हें दूर्वा, लाल फूल, मोदक और गुड़ अर्पित करें।
- शांत मन से गणेश जी का ध्यान करें।
- पाठ के बाद श्री गणेश जी की आरती करें।
- प्रतिदिन या मंगलवार और चतुर्थी के दिन नियमित रूप से करें।
लाभ
- जीवन के सभी संकटों का नाश होता है।
- मन में स्थिरता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- घर-परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
- कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होकर सफलता मिलती है।
- शत्रु, ऋण और बीमारी से मुक्ति मिलती है।