
गुणवत्तापूर्ण पौध उत्पादन हेतु रणनीतिक
साझेदारी
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (भाकृअनुप-आईआईवीआर), वाराणसी ने सब्जी उत्पादन,उद्यमिता विकास एवं तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देने हेतु कृषकों के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है।
आई.आई.वी.आर.ने कृषक उत्पादक संगठन एवं विपणन सहकारी समिति (एफ.पी.ओ.), टिकरी एवं पार्वती स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी.),घानापुर, वाराणसी के साथ ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। वही राज्य सरकार के उद्यान विभाग द्वारा प्रायोजित इस सहयोग का उद्देश्य पॉलीहाउस संरचनाओं के माध्यम से वर्षभर गुणवत्तापूर्ण सब्जी पौध उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस समझौते के अंतर्गत आई.आई.वी.आर. के वैज्ञानिक पौध उत्पादन तकनीक, बीज उपचार, रोग-कीट प्रबंधन एवं गुणवत्ता आश्वासन पर व्यापक प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे। निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि यह पहल किसानों की लागत कम करेगी, उत्पादकता बढ़ाएगी तथा स्थानीय पौध उत्पादन को व्यावसायिक उद्यम के रूप में विकसित करेगी, जो “आत्मनिर्भर किसान – समृद्ध भारत” मिशन में महत्वपूर्ण योगदान देगी। जिला उद्यान अधिकारी सुभास कुमार एवं उद्यान विभाग से ज्योति सिंह एवं द्वारा इस कार्यक्रम को विशेष सहयोग प्रदान किया जा रहा है। जिला उद्यान अधिकारी ने कहा कि इस तरह की साझेदारी से सब्ज़ी उत्पादन में आत्मनिर्भरता आएगी और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को बल मिलेगा । एफ.पी.ओ. अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह एवं एस.एच.जी. अध्यक्ष मालती देवी ने विश्वास जताया कि आई.आई.वी.आर. के सहयोग से तैयार पौध की गुणवत्ता बेहतर होगी, जिससे किसानों को बाज़ार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी। यह समझौता किसानों की आजीविका सुदृढ़ करने एवं “आत्मनिर्भर किसान – समृद्ध भारत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा । कार्यक्रम में प्रधान विज्ञानी डॉ नीरज सिंह, डॉ. डी.पी.सिंह, डॉ हरेकृष्णा एवं डॉ राकेश कुमार दुबे उपस्थित रहे.
अनुसूचित जाति कृषकों का उद्यमिता प्रशिक्षण
अनुसूचित जाति उप-योजना के अंतर्गत किसानों के लिए “सालभर सब्जी नर्सरी उत्पादन द्वारा उद्यमिता विकास” विषय पर विशेष एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। बहुटी एवं वनवारिपुर क्षेत्र से आए 115 से अधिक किसानों ने भाग लिया, जिनमें 100 से अधिक महिला प्रतिभागी शामिल थीं। कार्यक्रम में टमाटर, मिर्च, बैंगन, सहजन एवं नेनुआ की गुणवत्तापूर्ण नर्सरी उत्पादन का प्रायोगिक प्रदर्शन तथा पॉलीहाउस, नेट हाउस एवं लो-टनल जैसी संरक्षित संरचनाओं की उन्नत तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया। प्रतिभागियों को व्यवसायिक मॉडल, लागत-लाभ विश्लेषण, विपणन रणनीति एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने की, संचालन समन्वयक डॉ. नगेंद्र राय तथा सह-समन्वयकगण डॉ. जागेश कुमार तिवारी, डॉ. शैलेश के. तिवारी, डॉ. प्रदीप कर्मकार एवं डॉ. ज्योति देवी ने किया। डॉ. नीरज सिंह, नोडल अधिकारी (SCSP) ने भी इस कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाई।
प्रगतिशील कृषकों हेतु उन्नत प्रशिक्षण
बिहार के बक्सर जिले से आए 20 प्रगतिशील किसानों के लिए तीन दिवसीय (10-12 सितम्बर 2025) गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उन्नत सब्जी उत्पादन तकनीक, प्रसंस्करण एवं विपणन पर केंद्रित प्रशिक्षण दिया गया। पाठ्यक्रम में एकीकृत कीट एवं रोग प्रबंधन, जैविक खेती, सब्जी पौध ग्राफ्टिंग, बीज उत्पादन, संरक्षित खेती, मशरूम उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन शामिल था।
डॉ. राजेश कुमार ने निर्यात गुणवत्ता की रंग-बिरंगी सब्जियों को अपनाने तथा प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के माध्यम से मानक गुणवत्ता बनाए रखने के महत्व पर बल दिया। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह ने लाभप्रद कृषि हेतु सामूहिक खेती एवं बाजार संपर्क पर जोर दिया।
ये व्यापक पहल वैज्ञानिक हस्तक्षेप, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से पारंपरिक कृषि को रूपांतरित करने की आई.आई.वी.आर. की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। इन कार्यक्रमों से विशेषकर महिलाओं एवं युवाओं के लिए टिकाऊ आजीविका के अवसर सृजित होने तथा उत्पादन से बाजार तक कृषि मूल्य श्रृंखला के सुदृढ़ीकरण की अपेक्षा है।
संस्थान का बहुआयामी दृष्टिकोण आधुनिक कृषि के महत्वपूर्ण पहलुओं – गुणवत्तापूर्ण पौध उत्पादन, उद्यमिता विकास, तकनीकी उन्नति एवं बाजार एकीकरण को संबोधित करता है, जो प्रतिस्पर्धी कृषि परिदृश्य में किसानों की बेहतर उत्पादकता एवं लाभप्रदता सुनिश्चित करता है। प्रशिक्षण समापन पर संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार द्वारा किसानों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र, सब्जी स्मारिका एवं किचेन पैकेट आदि का वितरण किया गया।