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कई महत्वपूर्ण फैसलों से सूचना के अधिकार को संरक्षित करने वाले सूचना आयुक्त पीके तिवारी को दी गई विदाई

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– 26 फरवरी 2019 को संभाला था कार्यभार, अपने कार्यकाल में 28 हजार से अधिक पत्रावलियों को किया निस्तारण

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– जन सूचना अधिनियम का पालन न करने पर 17 सौ जन सूचना अधिकारियों को किया दंडित

लखनऊ, राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी को शुक्रवार को उनका कार्यकाल पूरा होने पर कर्मचारियों और अधिकारियों ने विदाई दी। इस दौरान उनका अभिनंदन करने के साथ उनके कार्यकाल की उपलब्धियों को सराहा गया। मालूम हो कि सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी का कार्यकाल पूरा होने की तिथि 25 फरवरी है, लेकिन दो दिन का अवकाश होने के कारण 23 फरवरी को विधिवत विदाई की औपचारिकता पूरी की गई।

निजी विद्यालय बीएसए के साथ अभिभावकों को भी दें विद्यालय प्रबंधन से जुड़ी जानकारी
सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने 26 फरवरी 2019 को सूचना आयुक्त का कार्यभार संभाला था। उन्होंने अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में शिकायतकर्ता और अपीलकर्ता की 28 हजार से अधिक पत्रावलियों को समयबद्ध तरीके से निस्तारित कर कीर्तिमान स्थापित किया है। वहीं जन सूचना अधिनियम का पालन न करने पर 1700 जन सूचना अधिकारियों को दंडित किया है। साथ ही हजारों अपीलकर्ता और शिकायतकर्ताओं को आर्थिक क्षतिपूर्ति का भुगतान भी करवाया है। सूचना आयुक्त ने अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत एक ऐतिहासिक निर्णय भी दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश के निजी विद्यालय, जिला विद्यालय निरीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारियों को विद्यालय प्रबंधन से जुड़ी सारी सूचनाएं देने के साथ-साथ सामान्य जनमानस को भी इसकी जानकारी दें, ताकि गार्जियंस अपने बच्चे को जिस विद्यालय में पढ़ा रहे हैं उससे वो परिचित रहें। प्रमोद कुमार तिवारी के इस निर्णय के बाद आज कोई भी अभिभावक यह जानकारी निजी विद्यालय से हासिल कर सकता है। इसके अलावा सूचना आयुक्त द्वारा अपने कार्यकाल में सरकारी सेवक को सर्विस बुक में निहित देय जैसे ग्रेच्युटी, पेंशन समेत अन्य मदों के देय का भुगतान कराया गया साथ ही सूचना अधिनियम 2005 की मूल भावना को स्थापित किया गया और जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही तय की गई।

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भारतीय सेना में कैप्टन और पुलिस विभाग में डीजी दूर संचार के पद पर दे चुके हैं सेवा
सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी द्वारा अपने कार्यकाल में अपीलकर्ता को सूचना दिलाने में विशेष प्रयास किया गया। इस दौरान जन सूचना अधिकारी का उत्पीड़न न हो और विभाग पर अतिभार न पड़े, इसका भी विशेष ध्यान रखा गया। वहीं पेशेवर सूचना मांगने वालों पर विशेष नजर रखी गयी ताकि सरकार के सामान्य कार्य में बाधा न पड़े। साथ ही सरकार के संसाधनों का दुरुपयोग न हो ताकि विकास कार्य निरंतर चलते रहें। सूचना देने के दौरान यह भी ध्यान रखा गया कि इस दौरान किसी व्यक्ति की निजता का हनन न हो। सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि सूचना का अधिकार जनमानस का महत्वपूर्ण अधिकार है क्योंकि यह उसे बहुत कम खर्च में उसे जानकारी उपलब्ध कराता है, लेकिन अपीलकर्ता को नियमों के चलते बहुत सी जानकारी नहीं दी जाती है। ऐसे में उन्हे नियमों की जानकारी देने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिये। साथ ही नियमों के प्रति उन्हे जागरुक किया जाए। उन्होंने अपने करियर के दौरान कुल 43 वर्ष और 9 माह तक विभिन्न पदों पर सेवा दी है। वर्ष 1980 से 1986 तक वह भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट और कैप्टन पदों पर सेवाएं देते रहे, जबकि 1986 में सीधी भर्ती के जरिए आईपीएस अधिकारी के रूप में संघ लोक सेवा आयोग से चयनित होने के बाद पुलिस सेवा प्रारंभ की। उन्होंने 32 वर्ष से अधिक तक पुलिस सेवा के दौरान अनेक महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील पदाें पर अपनी सेवाएं दी है। वह वर्ष 2019 में पुलिस महानिरीक्षक दूर संचार के पद से रिटायर हुए।

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