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देशभर में इंटरनेट और कंप्यूटर की उपलब्धता: शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट से खुलासा

देशभर में इंटरनेट और कंप्यूटर की उपलब्धता: शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट से खुलासा
Shiv murti

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में देशभर के स्कूलों में इंटरनेट और कंप्यूटर की उपलब्धता को लेकर महत्वपूर्ण आंकड़े सामने आए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE) डेटा से यह स्पष्ट होता है कि भारत के केवल 53 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है, जबकि 57 प्रतिशत स्कूलों में कंप्यूटर चालू हालत में हैं। हालांकि, इन आंकड़ों के बावजूद, यह भी देखा गया है कि लगभग 90 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में बिजली और लिंग-विशिष्ट शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

संघर्ष और उन्नति: सुविधाओं की सीमा

यह रिपोर्ट एक ओर जहां देश में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता का संकेत देती है, वहीं दूसरी ओर यह भी दर्शाती है कि उन्नत सुविधाओं की कमी अभी भी एक बड़ी चुनौती है। उदाहरण के तौर पर, कार्यात्मक डेस्कटॉप, इंटरनेट एक्सेस, और हैंडरेल के साथ रैंप जैसी उन्नत सुविधाएं केवल कुछ स्कूलों तक ही सीमित हैं। इस प्रकार, भारत के कई स्कूलों में उन्नति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, लेकिन इस दिशा में अभी भी कई बाधाएं मौजूद हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभाव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत, सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधारों की दिशा में काम शुरू किया है। NEP 2020 का उद्देश्य समावेशी और समान शिक्षा प्रणाली प्रदान करना है, ताकि हर बच्चे को समान अवसर मिल सके। लेकिन इसके बावजूद, बुनियादी ढांचे की कमी अभी भी यूनिवर्सल शिक्षा की दिशा में एक बड़ी रुकावट बनी हुई है। शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि बुनियादी ढांचे की कमी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता में भी फर्क आ सकता है, जिससे समग्र रूप से शिक्षा क्षेत्र में प्रगति बाधित हो रही है।

2030 तक के लक्ष्य और जरूरी संसाधन

भारत सरकार का लक्ष्य 2030 तक शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाना है। इसके तहत, देश में हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही हैं। इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि संसाधनों का स्मार्ट तरीके से उपयोग किया जाए और उन्हें हर स्कूल तक पहुंचाया जाए। इसके लिए स्थानीय और केंद्रीय दोनों स्तरों पर शिक्षा मंत्रालय को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता

जैसा कि रिपोर्ट में सामने आया है, इंटरनेट और कंप्यूटर जैसी उन्नत सुविधाओं का अभाव अभी भी कई स्कूलों में देखा जा रहा है। खासतौर पर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में यह समस्या अधिक गंभीर है। इसके अलावा, रैंप और हैंडरेल जैसी सुविधाएं जो विशेष रूप से विकलांग छात्रों के लिए जरूरी हैं, उनके लिए भी कम स्कूलों में ही पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं। इन सुविधाओं का अभाव, समावेशी शिक्षा के सपने को हकीकत में बदलने में एक बड़ी रुकावट है।

समावेशन और समानता: NEP 2020 की प्राथमिकताएं

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मुख्य प्राथमिकताओं में समावेशन और समानता को रखा गया है। नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चे को, चाहे वह किसी भी जाति, पंथ या क्षेत्र से हो, समान अवसर मिले। इसके तहत लड़कियों की शिक्षा, विकलांग छात्रों के लिए सुविधाएं, और गरीब और पिछड़े वर्गों के बच्चों को मुख्यधारा में लाना प्रमुख उद्देश्य हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित करना कि ये सभी लक्ष्यों को हासिल किया जाए, कुछ हद तक इस समय बुनियादी ढांचे की कमी के कारण चुनौतीपूर्ण हो रहा है।

यूडीआईएसई डेटा और स्कूलों का प्रतिनिधित्व

यूडीआईएसई प्लस डेटा ने भारत के स्कूलों के बुनियादी ढांचे का स्नैपशॉट प्रदान किया है, जिससे सरकार को यह समझने में मदद मिल रही है कि कहां पर सुधार की जरूरत है। यह डेटा न केवल यह दर्शाता है कि कितने स्कूलों में इंटरनेट और कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध है, बल्कि यह भी बताता है कि कितने स्कूलों में भौतिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए जरूरी सुविधाएं जैसे रैंप और हैंडरेल उपलब्ध हैं।

आगे की राह: सुधार और विकास के कदम

  • बुनियादी सुविधाओं का विस्तार: सरकार को चाहिए कि वह बुनियादी सुविधाओं जैसे कि शौचालय, पानी, और बिजली को सभी स्कूलों तक पहुंचाए। इसके साथ ही इंटरनेट और कंप्यूटर जैसी सुविधाओं को भी बढ़ावा दिया जाए, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • तकनीकी संसाधनों का प्रबंधन: स्कूलों में इंटरनेट एक्सेस और कंप्यूटर की पहुंच बढ़ाने के लिए स्मार्ट कक्षाएं और डिजिटल लर्निंग के लिए संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया जाना चाहिए।
  • समावेशी शिक्षा का समर्थन: विकलांग बच्चों के लिए स्कूलों में उचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि हर छात्र अपनी पूरी क्षमता से शिक्षा प्राप्त कर सके।
  • 2030 के लक्ष्य की दिशा में कदम: 2030 तक उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए और संवेदनशील क्षेत्रों में ज्यादा ध्यान दिया जाए।
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