डॉ. अनुराधा रतूड़ी: काशी की ध्रुपद साधिका का राष्ट्रीय अध्येता के रूप में चयन

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न्यूज डेस्क।क़ाशी की सुप्रसिद्ध ध्रुपद गायिका और संगीत विदुषी डॉ. अनुराधा रतूड़ी को प्रतिष्ठित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS), शिमला में राष्ट्रीय अध्येता के रूप में चयनित किया गया है। यह चयन उनकी सांगीतिक साधना और अकादमिक उत्कृष्टता का प्रतीक है। संगीत एवं अनुसंधान के क्षेत्र में यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों की सफलता है, बल्कि काशी और उत्तराखण्ड के लिए भी गर्व की बात है।

डॉ. अनुराधा मूलतः उत्तराखण्ड के श्रीनगर गढ़वाल की निवासी हैं। उनके पिता, दिवंगत डॉ. सर्वेश्वर प्रसाद रतूड़ी हिन्दी विषय के प्रवक्ता रहे, जबकि माता श्रीमती कान्ता रतूड़ी एक संस्कारशील परिवार से आती हैं। अनुराधा को बचपन से ही संगीत के प्रति गहरी रुचि थी, जिसे उन्होंने निरंतर साधना और अध्ययन के माध्यम से एक ऊँचाई तक पहुँचाया।

उन्होंने सन् 2012 में गढ़वाल विश्वविद्यालय से संगीत में स्नातकोत्तर की उपाधि स्वर्ण पदक के साथ प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी के संगीत एवं मंच कला संकाय से यूजीसी सीनियर रिसर्च फेलोशिप (SRF) के साथ गायन में पीएच.डी. पूर्ण की। सन् 2018 में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई।

डॉ. अनुराधा रतूड़ी ने काशी में प्रतिष्ठित पद्मश्री पंडित ऋत्विक सान्याल के सान्निध्य में ध्रुपद गायकी की विधिवत शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने परंपरागत ध्रुपद शैली में गायन को आत्मसात कर उसे अकादमिक पटल पर भी सशक्त रूप में प्रस्तुत किया है। संगीत में उनके शोध और प्रस्तुति दोनों ही क्षेत्रों में योगदान को अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा मान्यता प्राप्त हुई है।

अनुराधा संगीत क्षेत्र में NCPA, मुंबई की फैलो रह चुकी हैं और उन्हें भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा जूनियर फेलोशिप भी प्राप्त है। वे समय-समय पर देश के विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर शास्त्रीय संगीत विषयक व्याख्यान देती रही हैं और ध्रुपद गायन की प्रस्तुतियाँ भी करती हैं। उनकी प्रस्तुतियों में परंपरा और नवाचार का संतुलन देखने को मिलता है, जो उन्हें विशिष्ट बनाता है।

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भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में राष्ट्रीय अध्येता के रूप में उनका चयन उनके गहन अध्ययन, शास्त्रीय ज्ञान और सांगीतिक साधना का सम्मान है। यह चयन न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत को शोध के माध्यम से और भी समृद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डॉ. अनुराधा रतूड़ी का यह चयन भावी संगीत साधकों के लिए प्रेरणास्पद है।