धन्वंतरि जी, जिन्हें आयुर्वेद के देवता और स्वास्थ्य के रक्षक माना जाता है, का नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का संचार होता है। वे भगवान विष्णु के एक रूप हैं और हर रोग से मुक्ति दिलाने वाले माने जाते हैं। आयुर्वेद का ज्ञान, जो भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, धन्वंतरि जी के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ है। उनकी आरती का पाठ न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक शांति भी प्रदान करता है।
धन्वंतरि जी की आरती उनके आशीर्वाद की अनुभूति और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक सुंदर माध्यम है। इसे गाते समय हमारे मन में स्वास्थ्य, समृद्धि और संतोष की भावना प्रबल हो जाती है। आरती के इस सरल लेकिन दिव्य पाठ में ईश्वर के प्रति असीम भक्ति और निष्ठा झलकती है।
धन्वंतरि जी की आरती
जय धन्वंतरि देवा,
जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित,
जन-जन सुख देवा,
।।जय धन्वं.।।
तुम समुद्र से निकले,
अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट,
आकर दूर किए,
।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया,
जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का,
साधन बतलाया,
।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर,
शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति ,
से शोभा भारी,
।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे,
रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका,
निश्चय मिट जावे,
।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी,
दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे ,
चरणों का घेरा,
।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती ,
जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए,
सुख-समृद्धि पावे,
।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरि जी की आरती हमें यह सिखाती है कि सच्चा स्वास्थ्य केवल शरीर के रोगों से मुक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे मन, आत्मा और जीवनशैली की संतुलित अवस्था है। जब भी हम यह आरती गाते हैं, तो हम धन्वंतरि जी से अपने और अपने प्रियजनों के लिए स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।
आयुर्वेद का महत्व आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना हजारों साल पहले था, और धन्वंतरि जी की आरती उस दिव्य परंपरा को जीवित रखती है। उनके प्रति श्रद्धा और विश्वास हमें जीवन के हर पहलू में सकारात्मकता और सशक्तिकरण की प्रेरणा देता है। आइए, हम सभी धन्वंतरि जी की आरती को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और उनके आशीर्वाद से भरपूर स्वास्थ्य और खुशहाली की ओर बढ़ें।