देव प्रेमल गायत्री मंत्र – दिव्य ऊर्जा से भरपूर संगीतमय साधना

देव प्रेमल गायत्री मंत्र
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देव प्रेमल द्वारा प्रस्तुत Deva Premal Gayatri Mantra न केवल एक मंत्र है, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने वाली एक गूढ़ संगीतमय यात्रा भी है। जब यह मंत्र देव प्रेमल की मधुर, शांत और गूंजती हुई आवाज़ में गाया जाता है, तब यह हमारे अंतरमन को छू जाता है। यह लेख खासतौर पर उन्हीं साधकों और संगीत प्रेमियों के लिए है जो आध्यात्मिकता और शांति की खोज में हैं। आइए जानें इस मंत्र का महत्व, इसे जपने की विधि और इसके आध्यात्मिक लाभ।

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।


Deva Premal Gayatri Mantra केवल एक भजन या मंत्र नहीं, बल्कि यह आत्मिक उपचार और दिव्यता का अद्भुत संगम है। जब आप इसे नियमित रूप से अपनाते हैं, तो आप स्वयं में एक आध्यात्मिक जागृति महसूस करेंगे। यदि आप इस मंत्र की ध्वनि से प्रेम करते हैं।

विधि

  1. शांत स्थान का चयन करें:
    सुबह या शाम के समय किसी शुद्ध और शांत स्थान पर बैठें।
  2. ध्यान मुद्रा में बैठें:
    सुखासन या पद्मासन में बैठें और आँखें बंद कर लें।
  3. Deva Premal का ऑडियो प्ले करें:
    संगीत को धीमे स्वर में चलाएं और उसी के साथ मंत्र का उच्चारण करें या केवल ध्यान लगाएं।
  4. मन को केंद्रित करें:
    प्रत्येक शब्द को अनुभव करें, केवल कानों से नहीं बल्कि आत्मा से सुनें।
  5. समय निर्धारण:
    दिन में कम से कम 15-20 मिनट तक इस मंत्र को सुनना या जपना लाभकारी होता है।

लाभ

  • मानसिक शांति:
    देव प्रेमल की स्वर लहरियों के साथ मंत्र का प्रभाव मन को गहराई से शांत करता है।
  • ध्यान में सहायक:
    यह मंत्र ध्यान की अवस्था को सहज बनाता है और चित्त को एकाग्र करता है।
  • नकारात्मकता का नाश:
    नकारात्मक विचार और भावनाएं धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
    घर, कार्यक्षेत्र या साधना स्थल पर इसे सुनने से ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति:
    नियमित जप से साधक की आत्मा ब्रह्मज्ञान की ओर अग्रसर होती है।
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