वाराणसी, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है, एक बार फिर भव्य आयोजन की तैयारी में है। इस वर्ष देव दीपावली 5 नवंबर को मनाई जाएगी। इस अवसर पर पूरी काशी रोशनी से नहा उठेगी। गंगा के तट पर स्थित 84 घाटों पर करीब 10 लाख दीप जलाकर देवताओं का स्वागत किया जाएगा।
देव दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन देवता स्वयं काशी में आकर गंगा स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि दीप जलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में खुशहाली आती है। शाम होते ही गंगा आरती के साथ घाटों पर दीपों की पंक्तियां सजाई जाती हैं। पूरा वातावरण मंत्रोच्चार, भजन और घंटियों की ध्वनि से गूंज उठता है।
नगर निगम, पर्यटन विभाग और कई सामाजिक संस्थाएं इस आयोजन की तैयारी में जुटी हैं। सुरक्षा और स्वच्छता के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। घाटों को फूलों और रंगीन रोशनी से सजाया जाएगा। गंगा आरती देखने देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक वाराणसी पहुंचते हैं। घाटों पर ड्रोन कैमरों से निगरानी भी की जाएगी ताकि आयोजन सुरक्षित और व्यवस्थित रहे।
देव दीपावली के अवसर पर न सिर्फ घाट, बल्कि पूरी काशी रोशनी से जगमगाएगी। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होगी और शहर की गलियां दीपों की रोशनी से सजी दिखेंगी। यह दिन आस्था, आध्यात्म और काशी की दिव्यता का अद्भुत संगम होता है। देव दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि काशी की आत्मा का उत्सव है, जो हर वर्ष अपने भव्य रूप में दुनिया भर की नज़रों को अपनी ओर खींच लेता है।
