वाराणसी। चैत्र नवरात्र की आज नवमी तिथि है। नवरात्र के अंतिम दिन मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की आराधना होती है। काशी के गोलघर में मां का मंदिर है। यहां सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोग माता का विधिविधान से दर्शन-पूजन कर सुख, शांति, सौभाग्य और सिद्धि की कामना कर रहे हैं। मां का धाम जय-जयकार से गूंज रहा है। भगवती दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री का है। मां अष्ट सिद्धियां-अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, सौम्य, वारीत्व और ईशत्व की प्रदाता हैं। माता रानी को लाल चुनरी, अढ़उल के फूल की माला, नारियल, रोली, नैवद्य के साथ ही आज के दिन सुहाग की सभी वस्तुओं, साबुदाना, खीर, बतासा एवं नगद द्रव्य भेंट करने का महत्व है। देवी की पूजा-अर्चना से सभी सिद्धियां फलीभूत होती हैं।
महालक्ष्मी गौरी की आराधना
नवगौरी दर्शन-पूजन के क्रम में महालक्ष्मी गौरी की पूजा- अर्चना की जाती है। ऐसे में लक्ष्मीकुंड स्थित मां के दरबार में दर्शन को श्रद्धालु पहुंचे। भक्तों ने दुख निवारिणी की आराधना व उपासना के साथ किसी ने पाप-ताप से मुक्ति की गुहार लगाई। वहीं युवतियों ने मनपसंद जीवनसाथी की कामना की। श्रद्धालुओं का तांता मंदिर प्रांगण में देर रात तक लगा रहा। मंदिर में भी दर्शनार्थियों का हुजूम उमड़ पड़ा। मां महालक्ष्मी गौरी की भोर साढ़े चार बजे पंचामृत स्नान के पश्चात 108 दीपों से मंगला आरती उतारी गई। तत्पश्चात षोडशोपचार व श्रृंगार के साथ मंदिर का कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया।