RS Shivmurti

आईसीसी और बीसीसीआई के हाइब्रिड मॉडल को लेकर विवाद

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पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के बीच चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर चल रहे गतिरोध ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। एक वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासक के अनुसार, अगर आईसीसी और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) हाइब्रिड मॉडल को पूरी तरह स्वीकार करने से इनकार करते हैं, तो पीसीबी के लिए टूर्नामेंट से हटना आसान नहीं होगा।

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पीसीबी के फैसले का राजस्व और कानूनी असर

अगर पीसीबी चैंपियंस ट्रॉफी से हटने का फैसला करता है, तो उसे न केवल भारी राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ेगा, बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अलग-थलग भी पड़ सकता है। इसके अलावा, उसे कई कानूनी मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है। पीसीबी ने आईसीसी के साथ मेजबानी से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें सदस्यों की अनिवार्य भागीदारी से संबंधित समझौता (एमपीए) भी शामिल है।

एमपीए के तहत सदस्यों की भागीदारी का महत्व

आईसीसी के एमपीए पर हस्ताक्षर करने के बाद ही सदस्य देश आईसीसी प्रतियोगिताओं से होने वाली कमाई में हिस्सा पाने के हकदार होते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि पीसीबी ने अन्य देशों की तरह एमपीए पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत उसे चैंपियंस ट्रॉफी और अन्य प्रतियोगिताओं में भाग लेना होगा।

प्रसारण समझौते और सदस्यों की बाध्यता

आईसीसी ने अपनी प्रतियोगिताओं के लिए प्रसारण समझौते किए हैं, जिसमें यह गारंटी दी गई है कि सभी सदस्य देश चैंपियंस ट्रॉफी सहित अन्य टूर्नामेंटों में भाग लेंगे। पिछले सप्ताह आईसीसी ने चैंपियंस ट्रॉफी के आयोजन के लिए हाइब्रिड मॉडल को लेकर सहमति प्राप्त कर ली थी। इस मॉडल के तहत भारतीय टीम अपने मैच दुबई में खेलेगी।

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हाइब्रिड मॉडल की दीर्घकालिक व्यवस्था

हाइब्रिड मॉडल के तहत यह व्यवस्था 2027 तक जारी रहेगी। अगर यह समझौता औपचारिक रूप से लागू होता है, तो पाकिस्तान को 2027 तक भारत का दौरा करने की बाध्यता नहीं होगी। हालांकि, अभी इस पर आधिकारिक घोषणा बाकी है।

पाकिस्तान के हटने पर संभावित कानूनी कार्रवाई

अगर पीसीबी चैंपियंस ट्रॉफी से हटने का फैसला करता है, तो आईसीसी और इसके कार्यकारी बोर्ड के 16 सदस्य देश उसके खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं। प्रसारकों के हितों को नुकसान होने के कारण वे भी कानूनी कार्रवाई का रास्ता अपना सकते हैं।

अन्य सदस्यों से समर्थन की कमी

प्रशासक ने यह भी खुलासा किया कि पीसीबी को कार्यकारी बोर्ड के अन्य सदस्यों से ठोस समर्थन नहीं मिला है। इससे उसके लिए अपनी स्थिति मजबूत करना और भी मुश्किल हो सकता है।

निष्कर्ष

पीसीबी के लिए चैंपियंस ट्रॉफी से हटने का निर्णय लेना आसान नहीं होगा। इसे राजस्व नुकसान, कानूनी मुकदमों और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अलग-थलग पड़ने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आईसीसी और बीसीसीआई के बीच इस विवाद के समाधान के लिए हाइब्रिड मॉडल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों का विश्लेषण करना जरूरी होगा।

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