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शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच टकराव: दिल्ली कूच की कोशिश पर तनाव का माहौल

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नई दिल्ली: किसान आंदोलन के दौरान शंभू बॉर्डर एक बार फिर से संघर्ष का गवाह बना। प्रदर्शनकारी किसानों ने शनिवार को दिल्ली की ओर कूच करने की कोशिश की, जिसे रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने सख्ती से कार्रवाई की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान कई किसानों के घायल होने की खबर है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रशासन द्वारा भेजी गई एंबुलेंस भी पर्याप्त नहीं पड़ी।

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किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि

किसानों का यह प्रदर्शन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे लंबे आंदोलन का हिस्सा है। पिछले कुछ महीनों से किसान संगठन लगातार दिल्ली कूच की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे।

किसान नेताओं का कहना है कि तीनों कृषि कानून किसानों के हितों के खिलाफ हैं। वे चाहते हैं कि इन कानूनों को पूरी तरह रद्द किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा दिया जाए। इसके साथ ही, वे बिजली बिल और पराली जलाने से जुड़े मुद्दों पर भी ठोस समाधान की मांग कर रहे हैं।

शंभू बॉर्डर पर कैसे बढ़ा तनाव

शनिवार को शंभू बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान जुटे थे। सुबह से ही किसान संगठनों ने दिल्ली कूच की योजना बनाई थी। प्रदर्शनकारी हाथों में झंडे और बैनर लेकर नारेबाजी कर रहे थे।

पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए पहले से ही बैरिकेडिंग कर रखी थी। जैसे ही किसानों ने बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की, पुलिस ने पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए।

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एक प्रदर्शनकारी किसान, जसविंदर सिंह ने बताया, “हम शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन पुलिस ने हम पर अचानक आंसू गैस और पानी की बौछारों से हमला कर दिया। कई लोग घायल हो गए हैं।”

घायल किसानों की हालत गंभीर

पुलिस की कार्रवाई के दौरान कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। पानी की बौछारों और आंसू गैस के प्रभाव से कुछ किसानों की हालत बिगड़ गई, जबकि कुछ को धक्का-मुक्की और भागदौड़ के कारण चोटें आईं।

स्थिति इतनी विकट हो गई कि प्रशासन द्वारा भेजी गई एंबुलेंस भी कम पड़ गईं। घायल किसानों को नजदीकी अस्पतालों में भेजा गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।

एक घायल किसान, सुरजीत कौर, ने कहा, “हम यहां अपने अधिकारों के लिए खड़े हैं। लेकिन हमारी आवाज दबाने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है।”

पुलिस का पक्ष

हरियाणा पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण ढंग से रोकने की कोशिश की गई, लेकिन जब उन्होंने बैरिकेड्स तोड़ने और दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश की, तब स्थिति संभालने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा।

पुलिस अधीक्षक ने कहा, “हमारे पास प्रदर्शनकारियों को रोकने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। हमने केवल उतना ही बल प्रयोग किया, जितना जरूरी था।”

किसान नेताओं की प्रतिक्रिया

किसान नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे “तानाशाही रवैया” करार दिया। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, “सरकार हमें दबाने की कोशिश कर रही है। लेकिन हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हमारी लड़ाई जारी रहेगी।”

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उन्होंने आगे कहा कि सरकार किसानों की मांगों को हल करने के बजाय उन्हें दबाने की कोशिश कर रही है।

स्थानीय लोगों का नजरिया

शंभू बॉर्डर के आसपास के स्थानीय लोग इस संघर्ष के बीच फंस गए। इलाके में यातायात पूरी तरह बाधित हो गया, जिससे लोगों को भारी परेशानी हुई।

एक स्थानीय दुकानदार, मोहम्मद आसिफ, ने कहा, “हम इस संघर्ष से परेशान हो चुके हैं। आए दिन यहां तनाव का माहौल रहता है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झगड़े का असर आम लोगों पर पड़ रहा है।”

क्या है किसानों की आगे की योजना

किसानों ने साफ कर दिया है कि वे सरकार के खिलाफ अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने दिल्ली में बड़ी संख्या में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो हम बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेंगे।”

सरकार और किसानों के बीच संवाद का अभाव

सरकार और किसान संगठनों के बीच संवाद की कमी इस समस्या को और बढ़ा रही है। हालांकि सरकार का कहना है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसान संगठनों का आरोप है कि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।

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