वाराणसी।सारी दुनिया में ईदुल फितर मनायी जाती है, लेकिन वाराणसी ही एक मात्र ऐसा शहर है जहां इस्लामी साल के दसवें महीने की सातवीं तारीख को छोटी ईद मनायी जाती है। ईद के बाद बहुत से लोग छह रोज तक नफ्ल रोजा रखते हैं और सातवें रोज कुतुबे बनारस शाह तैय्यब बनारसी रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताने (मण्डुवाडीह चौराहे के समीप के दरगाह) में सुबह से जमा होते हैं। इस ईद के जश्न में बनारस और आसपास के जिलों के हजारों लोग शामिल होते है। परिसर में खाने, पीने की सामग्री के साथ सौन्दर्य प्रसाधन, गुब्बारे खिलौने आदि की भी दुकानें लगती है। सर्वाधिक भीड़ मेमारबिरादरी के लोगों की रहती हैं। मदरसा तैयबा मोई निया कुतुवे-बनारस के आस्ताने के अहाते में मौजूद है। प्रिंसिपल मौलाना अब्दुस्सलाम के अनुसार 17 अप्रैल को सुबह फज्र की नमाज के बाद कुरान ख्बानी, होगी। जोहर बाद मजार शरीफ पर चादर चढ़ायी जायेगी। असर के बाद बारगाहेरिसालत में शायरों द्वारा नजरान-ए-अकीदत पेश की जायेगी। मगरिब के बाद दुआ ख्बानी होगी। इसके बाद प्रमुख इस्लामी विद्वान नबी-ए-करीम की सरित और शाह तैयब बनारसी की खिदमात और करामात पर रोशनी डालेंगे।यहां पर दूर दराज से आनेवालों के लिए रहने और खाने का मुफ्त इन्तजाम किया जाता है। शहर के अकीदतमन्दों की ओर से हर तरह का यहां सहयोग रहता हैं। रोजेदार रोजा इफ्तार के बाद नमाज भी अदा करते है। कहा जाता है कि बनारस के बुनकर और जरदोज छोटी ईद के बाद ही अपना कारोबार शुरु करते है