भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा में मंत्रों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इन्हीं में से एक है चंडी गायत्री मंत्र, जो देवी चंडी (दुर्गा माता के उग्र रूप) का स्तुति मंत्र है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है और साधक को अपार साहस व आत्मबल देता है। इस लेख में हम जानेंगे इस मंत्र की सही विदि, इसके चमत्कारी लाभ, और इसे जपने से जीवन में आने वाले सकारात्मक परिवर्तन।
चंडी गायत्री मंत्र
“ॐ चण्डिकायै च विद्महे,
शक्त्यै च धीमहि,
तन्नो देवी प्रचोदयात्।”
चंडी गायत्री मंत्र केवल एक धार्मिक मंत्र नहीं है, बल्कि यह एक आंतरिक शक्ति का स्रोत है। जब कोई व्यक्ति श्रद्धा और विधिपूर्वक इसका जाप करता है, तो उसे न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि जीवन में विजय और उन्नति के मार्ग भी खुलते हैं। यदि आपको यह लेख उपयोगी लगा, तो आप दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व, अर्जुन द्वारा किया गया देवी स्तुति, काली माता का कवच मंत्र, और नवरात्रि में पढ़े जाने वाले दुर्गा मंत्र जैसे अन्य लेख भी ज़रूर पढ़ें।
इस मंत्र के जाप की विधि
- शुद्धता और संकल्प:
मंत्र जाप से पहले शरीर और स्थान की शुद्धता आवश्यक है। प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर देवी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष बैठें। - आसन और दिशा:
उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके कमल, कुश या ऊन के आसन पर बैठें। - दीप और धूप:
देवी के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं। कुछ पुष्प अर्पित करें और शांत चित्त से ध्यान केंद्रित करें। - मंत्र जप की संख्या:
इस मंत्र का जाप कम से कम 11 बार करें। यदि संभव हो तो 108 बार (1 माला) नियमित करें। - नवरात्रि में विशेष लाभ:
चंडी गायत्री मंत्र का जाप नवरात्रि में विशेष फलदायी होता है। इस समय 9 दिन तक प्रतिदिन जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
मंत्र के लाभ
- आत्मबल और साहस में वृद्धि:
इस मंत्र का नियमित जप व्यक्ति के भीतर से डर और नकारात्मक विचारों को दूर करता है, जिससे आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है। - नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा:
चंडी देवी के इस गायत्री मंत्र से बुरी शक्तियाँ, बुरी नज़र, तंत्र-मंत्र प्रभाव और भय आदि दूर हो जाते हैं। - जीवन में सफलता और विजय:
मंत्र साधना से जीवन में चल रही बाधाओं का अंत होता है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। विशेषकर न्याय, प्रतियोगिता और संघर्ष से जुड़े मामलों में यह मंत्र विजय देता है। - आध्यात्मिक उन्नति:
मंत्र का जाप साधक के मन को शुद्ध करता है और उसे आध्यात्मिक रूप से जागरूक बनाता है।