बुद्ध गायत्री मंत्र: शांति, ज्ञान और करुणा की ओर एक दिव्य पथ

बुद्ध गायत्री मंत्र
खबर को शेयर करे

बुद्ध का नाम सुनते ही मन में शांति, करुणा और ज्ञान की भावना जाग उठती है। उनकी वाणी और उपदेशों ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को आंतरिक शांति की राह दिखाई है। आज हम एक ऐसे मंत्र की बात कर रहे हैं जो भगवान बुद्ध के गुणों को स्मरण कराता है बुद्ध गायत्री मंत्र। यह मंत्र केवल एक धार्मिक जप नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने वाली ऊर्जा है। आइए जानें इस मंत्र की विधि, इसके लाभ और इसकी शक्ति का अनुभव कैसे किया जाए।

गायत्री मंत्र

“ओम बुद्धाय विद्महे,
धर्माय धीमहि,
तन्नो शाक्यमुनि प्रचोदयात्।”

बुद्ध गायत्री मंत्र न केवल एक आध्यात्मिक साधना है, बल्कि जीवन को नई दृष्टि देने वाला मंत्र है। यह मंत्र हमारे भीतर छिपी शांति, करुणा और जागरूकता को जाग्रत करता है। यदि आप भी जीवन में संतुलन और आत्मिक विकास चाहते हैं, तो इस मंत्र का नियमित अभ्यास अवश्य करें।

मंत्र की विधि:

  1. शांत वातावरण का चयन करें: सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या रात को सोने से पहले यह मंत्र जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है।
  2. दीपक और अगरबत्ती जलाएं: किसी शांत स्थान पर बैठकर दीपक और अगरबत्ती जलाएं ताकि पवित्र वातावरण बने।
  3. आसन पर बैठें: पद्मासन या सुखासन में बैठें, रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और आंखें बंद करें।
  4. मानसिक एकाग्रता: भगवान बुद्ध की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें और उनका ध्यान करें।
  5. मंत्र का जाप करें: इस मंत्र का 108 बार जाप करें। चाहें तो माला का प्रयोग करें।
  6. अंत में प्रार्थना करें: भगवान बुद्ध से ज्ञान, धैर्य और करुणा का वरदान मांगें।
इसे भी पढ़े -  महाकुंभ 2025: पर्यावरण बाबा का अनोखा अंदाज, हीरे की घड़ी, सोने का हार और दस कंगन पहनकर कुंभ में पहुंचें

मंत्र के लाभ:

  • मानसिक शांति: इस मंत्र के नियमित जाप से चित्त शांत होता है और तनाव दूर होता है।
  • आत्मज्ञान की प्राप्ति: यह मंत्र साधक को आत्मज्ञान और बुद्धत्व की दिशा में अग्रसर करता है।
  • नकारात्मकता का नाश: घर या मन में फैली नकारात्मक ऊर्जा का शमन करता है यह पवित्र मंत्र।
  • एकाग्रता में वृद्धि: विद्यार्थियों और साधकों के लिए यह मंत्र विशेष रूप से लाभकारी है क्योंकि यह ध्यान और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
  • करुणा और सहिष्णुता का विकास: भगवान बुद्ध की कृपा से मन में करुणा, सहनशीलता और मानवता का भाव बढ़ता है।
Shiv murti