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तमिलनाडु सरकार का नो-डिटेंशन पॉलिसी पर बड़ा फैसला

तमिलनाडु सरकार का नो-डिटेंशन पॉलिसी पर बड़ा फैसला
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तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोय्यामोझी ने केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ में बदलाव के फैसले को राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया है। शिक्षा मंत्री ने यह साफ कर दिया है कि तमिलनाडु राज्य अपने पुराने शिक्षा मॉडल को ही बनाए रखेगा। उन्होंने राज्य के छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को आश्वस्त किया कि इस बदलाव का उनकी शिक्षा प्रणाली पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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तमिलनाडु सरकार का रुख

तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोय्यामोझी ने स्पष्ट किया है कि राज्य में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ के बदलाव को लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार अपने शिक्षा मॉडल को बनाए रखेगी, जो छात्रों को शिक्षा पूरी करने का समान अवसर प्रदान करता है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार का फोकस बच्चों के समग्र विकास पर है, न कि सिर्फ उनके परीक्षा परिणामों पर।

“किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं”

शिक्षा मंत्री ने राज्य के छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से अपील की कि इस बदलाव से घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि तमिलनाडु सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हर छात्र को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। खासतौर पर ग्रामीण और कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए राज्य सरकार की योजनाएं जारी रहेंगी।

नो-डिटेंशन पॉलिसी क्या है?

‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2010 (RTE) के तहत लागू की गई थी। इस नीति के अनुसार, कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के छात्रों को परीक्षा में असफल होने के बावजूद अगली कक्षा में प्रमोट किया जाता था। इस नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि बच्चे शिक्षा से वंचित न हों। हालांकि, केंद्र सरकार ने हाल ही में कक्षा 5 और कक्षा 8 के लिए इस नीति को खत्म करने का फैसला किया है। इसके तहत अब छात्रों को परीक्षा में पास होना अनिवार्य होगा, अन्यथा उन्हें उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा।

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केंद्र सरकार का ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ पर फैसला

केंद्र सरकार ने यह निर्णय शिक्षा के स्तर को सुधारने और प्राइमरी लेवल पर बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से लिया है। नई नीति के तहत अब छात्रों को परीक्षा में पास होना अनिवार्य होगा। यदि वे असफल होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।

राज्य सरकार का तर्क

तमिलनाडु सरकार का मानना है कि ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ बच्चों को पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस नीति के कारण स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई है। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सिर्फ परीक्षा परिणामों पर जोर देना पर्याप्त नहीं है।

विशेषज्ञों की राय

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ के खत्म होने से शिक्षा प्रणाली में सुधार हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने से पहले छात्रों और शिक्षकों के लिए पर्याप्त संसाधन और समर्थन सुनिश्चित करना जरूरी है।

ग्रामीण और कमजोर वर्ग के लिए चिंता

ग्रामीण और कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ एक सहायक नीति थी। इसके खत्म होने से इन छात्रों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। तमिलनाडु सरकार ने इस बात को ध्यान में रखते हुए कहा है कि वह सुनिश्चित करेगी कि राज्य के हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिले।

तमिलनाडु सरकार का निर्णय क्यों महत्वपूर्ण है?

तमिलनाडु सरकार का यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि राज्य सरकार शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए केंद्र सरकार की नीतियों से अलग सोचने और निर्णय लेने के लिए तैयार है।

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