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भूमिहार समाज का सपा और भाजपा के प्रति झुकाव: राजनीति में बदलाव की उम्मीद

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स्वर्गीय रूद्र बाबू दो बार रहे विधायक

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भूमिहार समाज का राजनीतिक वर्चस्व हमेशा से उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण रहा है। इस समाज के प्रभाव से यह देखा गया है कि रूद्र बाबू दो बार विधायक और मंत्री बने। अब सवाल यह उठता है कि भूमिहार समाज का रुझान इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) या भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के प्रति होगा। इसका उत्तर आने वाला समय ही देगा।

समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव लल्लन राय ने इस पर अपनी राय देते हुए कहा कि इस बार भूमिहार समाज भाजपा से परेशान होकर सपा की ओर रुझान कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने विधानसभा क्षेत्र के गांवों का दौरा किया और लोगों से अपील की कि वे समाजवादी पार्टी को मजबूत करें। साथ ही समाज सेवा से जुड़े हरिमोहन सिंह ‘टप्पू बाबू’ ने भूमिहार समाज के वर्चस्व को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह वर्चस्व ही था जिसने इस बार मुख्यमंत्री को स्वर्गीय कृष्णानंद राय का नाम लेने के लिए मजबूर कर दिया।

टप्पू बाबू ने यह भी याद दिलाया कि एक पूर्व नेता की राजनीति इस समाज के विरोध के कारण खत्म हो गई थी। उस नेता ने कह दिया था कि “भूमिहार आलू है, जी सब्जी में चावल पका लो,” जिसके बाद भूमिहार समाज ने एकजुट होकर उनकी दो बार जमानत रद्द करवा दी और रुद्र बाबू को विजयी बनाकर मंत्री बनाने में मदद की।

हालांकि,टप्पू बाबू का कहना है उपचुनाव से सरकार न बनने वाली ना बिगड़ना वाली,लेकिन उन्होंने अपील की कि लोग देश और प्रदेश के विकास के लिए एकजुट रहें और अपने मताधिकार का सही उपयोग करें।

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समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच भूमिहार समाज का रुख तय करने के लिए समय और राजनीतिक परिस्थिति के बदलाव का इंतजार करना होगा।

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