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BHU ने स्वर्णिम इतिहास संग पूरे किए 108 साल

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1916 में महामना ने रखी थी नींव, परिसर में 6 संस्थान,14 संकाय और 140 विभाग
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महामना मदन मोहन मालवीय की कर्मभूमि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आज अपनी स्थापना की 108वीं वर्षगांठ मना रहा है। देश और विदेशों तक शिक्षा का डंका बजाने वाले इस संस्थान की गूंज चारो ओर है। बीएचयू के छात्र सांसद, केंद्रीय मंत्री, विधायक, राज्यमंत्री, IAS-IPS बनकर प्रमुख सचिव तक पहुंचे हैं।
सादगी के साथ विश्वविद्यालय आज 108वें स्थापना दिवस पर गौरवान्वित है। परिसर के विभिन्न संकायों और विभागों में BHU की वर्षगांठ पर आयोजन हो रहे हैं। शिलान्यास स्थल पर कुलपति प्रो. सुधीर जैन सहित अन्य अधिकारी सुबह पहुंचकर परंपरागत तरीके से पूजन करेंगे।
स्थापना की 108वीं वर्षगांठ मनाने वाला BHU क्षेत्रफल के नजरिए से एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। 13 सौ एकड़ में बने काशी हिन्दू विश्ववविद्यालय में 6 संस्थान 14 संकाय के साथ ही 140 से अधिक विभाग मौजूदा समय में कार्यरत हैं। छात्रों के पठन-पाठन के लिए सेंट्रल लाइब्रेरी, छात्रावास के साथ ही गौशाला, बैंक, पोस्टऑफिस, एनसीसी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित है। प्रोफेसरों ने बताया कि 4 फरवरी 1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने विश्वविद्यालय की नींव रखी थी। दान लेकर महामना ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की है।
बीएचयू कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि बीएचयू की स्थापना के 108 साल पूरे होना हम सभी के लिए गौरव की बात है। इस ऐतिहासिक संस्थान के निरंतर विकास की दिशा में सभी के सहयोग से हर संभव बेहतर कार्य किया जा रहा है। शिक्षा, शोध, स्वास्थ्य सभी क्षेत्रों के माध्यम से इसकी ख्याति को बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। इसके लिए विकास की यह यात्रा जारी रहेगी।

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काशी नरेश ने दान में दी थी जमीन

बताया गया कि महामना को विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए पैसों और जमीन मांगने काशी नरेश विभूति नारायण के किले में पहुंचे। गंगा स्नान कर जैसे ही काशी नरेश बाहर निकले महामना ने उनसे जमीन मांग ली। शर्त के साथ काशी नरेश ने उन्हें जमीन दान देने की बात कही। काशी नरेश ने ये शर्त रखी कि सूर्यास्त से पहले पैदल चलकर वो जितनी जमीन नाप लेंगे, उतना उन्हें दान में मिल जाएगी। फिर महामना दिन भर पैदल चल विश्वविद्यालय के लिए काशी नरेश से जमीन ली।

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Aditya