



वाराणसी। धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में नाटी इमली का भरत मिलाप विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस ऐतिहासिक आयोजन की शुरुआत 480 साल पहले मेघा भगत और तुलसीदास के धार्मिक अनुष्ठान से हुई थी। कहा जाता है कि जब रघुकुल के इस पवित्र मिलन का दृश्य होता है, तो सूर्यदेव भी अपने रथ को रोककर इसे देखने आते हैं। काशी, जहां सात दिनों में नौ त्योहार मनाए जाते हैं, अपनी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को आज भी जीवंत रखे हुए है। विजयदशमी के अगले दिन, न केवल काशी के लोग, बल्कि दुनियाभर से लोग इस ऐतिहासिक राम और भरत के मिलन के गवाह बनते हैं। यह आयोजन 481 वर्षों से लगातार नाटी इमली में हो रहा है और यदुकुल के कंधों पर रघुकुल के इस मिलन को देखने के लिए हर साल श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। इसव वर्ष भी इस आयोजन को देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी।नाटी इमली का भरत मिलाप 481 वर्षों से काशी की प्राचीन परंपराओं का हिस्सा बना हुआ है। मान्यता है कि जब पांच टन से भी ज्यादा वजनी पुष्पक विमान को यादव समुदाय के लोग अपने कंधों पर उठाते हैं, तो समय मानो ठहर जाता है। कहा जाता है कि भगवान सूर्य भी इस अद्भुत दृश्य को निहारने के लिए अपने रथ के पहिए को रोक देते हैं। इस महामिलन का साक्षी बनने के लिए हर साल इतनी भीड़ जुटती है कि मैदान में तिल रखने की भी जगह नहीं बचती।तुलसीदास के समय से ही काशी के यादव बंधुओं का इतिहास इस आयोजन से जुड़ा हुआ है। तुलसीदास ने बनारस के घाटों पर श्रीरामचरितमानस की रचना की, लेकिन इसे जनसामान्य तक पहुंचाने का कार्य मेधा भगत ने किया, जो अहीर जाति के थे और फूटे हनुमान मंदिर के पास रहते थे। उन्होंने ही काशी में रामलीला के मंचन की परंपरा शुरू की थी, जो आज भी चल रही है। लाटभैरव और चित्रकूट की रामलीला तुलसीदास के समय से ही चली आ रही है।

काशी के राज परिवार की भागीदारी
पिछले 228 वर्षों से काशी का राज परिवार इस भरत मिलाप का साक्षी बनता आ रहा है। काशी नरेश उदित नारायण सिंह ने इस परंपरा की शुरुआत की थी और तब से उनकी पांच पीढ़ियां इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनी रही हैं। शाही अंदाज में यह परंपरा आज भी जारी है, जिसमें काशी के नरेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।वाराणसी। नाटी इमली के भरत मिलाप मैदान में रविवार को भगदड़ मच गया। भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि संभालना मुश्किल हो गया। इस दौरान यादव बंधुओं की पुलिस से धक्कीका मुक्की भी हुई। नतीजन पुलिस को स्थिति संभालने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। जिसके बाद स्थिति थोड़ी नॉर्मल हुई।बताया जा रहा है कि नाटी इमली भरत मिलाप मैदान में 5 मिनट की लीला देखने के लिए लगभग 5 लाख लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। जिसके कारण यहां पांव रखने भर की जगह भी नहीं बची है। इसी दौरान अचानक से भगदड़ मच गया। लोग एक के बाद एक दूसरे पर गिरते गए। इस दौरान कुछ लोगों को चोटें भी आई हैं। बेकाबू भीड़ ने पुलिस द्वारा लगाये गए बैरीकेडिंग को भी तोड़ा। इस घटना में भाजपा के एक मंत्री के लड़के से भी पुलिस की हाथापाई हुई। जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।