वाराणसी जिले के राजातालाब तहसील क्षेत्र में बुधवार को भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक पर्व भैया दूज पारंपरिक उल्लास और धार्मिक आस्था के साथ मनाया गया। सुबह से ही गांवों में पर्व की रौनक दिखाई देने लगी। बहनों ने निर्जला व्रत रखकर विधिवत पूजा-अर्चना की और गोबर से बने गोधन को कूटकर अपने भाइयों के सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना की।
ग्रामीण अंचलों में परंपरागत ढंग से भैया दूज का त्योहार मनाने की पुरानी परंपरा रही है। बुधवार को भी जगह-जगह तालाबों, कुओं, मंदिरों और घरों के आंगनों में महिलाएं समूह बनाकर एकत्रित हुईं। पूजा-पाठ के दौरान बहनों ने गोधन पूजन के बाद जल अर्पित कर भाइयों के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक लगाकर मिठाई खिलाई। इसके बाद भाइयों ने भी बहनों को उपहार देकर स्नेह व्यक्त किया।
कई गांवों में सुबह से ही रंगोली सजाने, पूजन सामग्री तैयार करने और पकवान बनाने की हलचल देखने को मिली। बहनों ने पूजा के बाद चना, गुड़, चावल और जल का प्रसाद ग्रहण कर व्रत तोड़ा। मान्यता है कि इस दिन बहन द्वारा अपने भाई के लिए किया गया पूजन और तिलक दीर्घायु और सौभाग्य का प्रतीक होता है।
राजातालाब बाजार, पनियरा, नेवादा, गौर , कपसेठी गजेपुर, आदि गांवों में महिलाओं ने सामूहिक रूप से भैया दूज का पर्व मनाया। कई स्थानों पर महिलाएं मंदिरों में जाकर भगवान विष्णु और यमराज की पूजा करती देखी गईं। पारंपरिक रीति के अनुसार इस दिन बहनें यमुना नदी की प्रतीक रूपी जलधारा या जलाशय के किनारे पूजा-अर्चना करती हैं, ताकि उनके भाई का जीवन यम के भय से मुक्त और सुखमय रहे।
भैया दूज के इस पावन अवसर पर क्षेत्र भर में भाई-बहन के स्नेह, आस्था और परंपरा का सुंदर संगम देखने को मिला। ग्रामीणों ने बताया कि यह त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि परिवारों के बीच प्रेम, विश्वास और एकता की डोर को मजबूत करने का भी प्रतीक है।