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गंगा की तीन धाराओं को एक धारा में प्रवाहित कर ‘भगीरथ’ बना सिंचाई विभाग

गंगा की तीन धाराओं को एक धारा में प्रवाहित कर 'भगीरथ' बना सिंचाई विभाग
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के महाकुम्भ के भव्य आयोजन के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, सिंचाई विभाग ने एक महत्वपूर्ण कार्य में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने गंगा की तीन धाराओं को एकत्रित कर उन्हें एक धारा में प्रवाहित कर दिया। इस प्रयास से संगम नोज पर श्रद्धालुओं के लिए स्नान की सुविधा बड़े पैमाने पर उपलब्ध हो पाई है।

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गंगा की धारा का बदलता स्वरूप

शास्त्री ब्रिज से लेकर संगम नोज तक की गंगा की धारा कई कारणों से अपने प्राकृतिक प्रवाह से भटक गई थी। इस बदलाव के कारण मां गंगा के पवित्र जल का प्रवाह पहले जैसा नहीं रहा था, जिससे श्रद्धालुओं को स्नान की व्यवस्था में दिक्कतें आती थीं। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने इस समस्या का समाधान निकाला और गंगा की धारा को पहले की तरह प्रवाहित करने के लिए अनेक प्रयास किए।

सिंचाई विभाग का ‘भगीरथ प्रयास’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुम्भ को दिव्य और भव्य बनाने का संकल्प लिया था, और इस दिशा में सिंचाई विभाग ने अपनी भूमिका निभाते हुए गंगा की धारा को एकत्रित किया। यह कार्य एक ‘भगीरथ प्रयास’ के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि इससे पहले भगीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाने के लिए घोर तपस्या की थी। अब सिंचाई विभाग ने उसी मेहनत और श्रद्धा के साथ गंगा की धारा को संगम नोज तक एकत्रित किया, ताकि श्रद्धालुओं को सही स्थान पर स्नान करने की सुविधा मिल सके।

संगम नोज पर स्नान का महत्व

गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल प्रयागराज में हर साल लाखों श्रद्धालु महाकुम्भ और अन्य अवसरों पर स्नान के लिए आते हैं। इस बार गंगा की धाराओं के एकत्रित होने से यह क्षेत्र और भी आकर्षक हो गया है। अब संगम नोज पर श्रद्धालुओं को आराम से स्नान करने के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध हो गया है। यह कार्य महाकुम्भ की भव्यता को और बढ़ा रहा है, जिससे स्थानीय प्रशासन की सराहना हो रही है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस पूरी प्रक्रिया में नेतृत्व अहम रहा है। उनके मार्गदर्शन में सिंचाई विभाग ने गंगा की धाराओं को एकत्रित करने में सफलता प्राप्त की। उनके निर्देशों के बाद अधिकारियों ने जो त्वरित और सटीक कदम उठाए, वह इस कार्य को सफल बनाने में मददगार साबित हुए। सीएम के नेतृत्व में इस प्रयास को ‘भगीरथ’ जैसा माना जा रहा है, क्योंकि यह काम बिना किसी बड़ी कठिनाई के सुलझाया गया।

सिंचाई विभाग के अधिकारियों की भूमिका

इस सफलता के पीछे सिंचाई विभाग के अधिकारियों की कड़ी मेहनत और समर्पण है। उन्होंने गंगा की धाराओं को सही दिशा में प्रवाहित करने के लिए कई तकनीकी उपायों का सहारा लिया। विभाग के अधिकारियों ने एक विस्तृत योजना बनाई, जिसमें गंगा की धारा को पूर्ववत बहाने के लिए जरूरी ढांचे का निर्माण किया गया। इसके अलावा, जल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए भी कई कदम उठाए गए, ताकि गंगा की धारा स्थिर और सुरक्षित बनी रहे।

भगीरथ के संघर्ष और आधुनिक प्रयासों का मिलाजुला उदाहरण

यह सफलता केवल आधुनिक तकनीक और प्रशासनिक प्रयासों की नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक संघर्ष और श्रद्धा का प्रतीक भी है। भगीरथ ने अपनी कठिन तपस्या के बाद मां गंगा को पृथ्वी पर लाया था, और आज सिंचाई विभाग ने उसी श्रद्धा और मेहनत को आधुनिक तकनीकी दृष्टिकोण से पुनः जीवित किया है। इस कार्य ने साबित कर दिया है कि जब सरकार, प्रशासन और जनता एकजुट होकर किसी प्रयास में लगे होते हैं, तो बड़े से बड़े कार्य संभव हो जाते हैं।

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