बटुक भैरव गायत्री मंत्र: विधि, लाभ और आध्यात्मिक महत्त्व

बटुक भैरव गायत्री मंत्र
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बटुक भैरव गायत्री मंत्र एक शक्तिशाली और प्रभावशाली तांत्रिक मंत्र है, जो भगवान भैरव के बाल रूप ‘बटुक भैरव’ को समर्पित है। यह मंत्र साधकों को नकारात्मक शक्तियों से बचाने, आत्मबल को बढ़ाने और जीवन में स्थिरता लाने का अद्भुत माध्यम माना जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे इस मंत्र की जप विधि, इससे मिलने वाले लाभ, और अंत में एक श्रद्धापूर्ण संदेश।

भैरव गायत्री मंत्र

ॐ बटुकाय विद्महे
भद्ररूपाय धीमहि
तन्नो भैरव: प्रचोदयात्॥

बटुक भैरव गायत्री मंत्र न केवल तांत्रिक रूप से शक्तिशाली है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना का मार्ग भी है। जो साधक सच्चे भाव से इस मंत्र का जाप करता है, उसके जीवन में भय नहीं रहता और वह हर संकट से उबर जाता है। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो आप भैरव अष्टमी व्रत कथा, काल भैरव स्तुति, भैरव चालीसा और श्री भैरव जी के 108 नाम को भी अवश्य पढ़ें ये सभी पाठ भैरव आराधना को और प्रभावशाली बनाते हैं।

विधि

  1. प्रातः काल स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और अपने सामने बटुक भैरव जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें – फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  4. लाल चंदन, गुलाल और इत्र अर्पण करें – ये बटुक भैरव को अत्यंत प्रिय हैं।
  5. रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का कम से कम 11, 21 या 108 बार जाप करें।
  6. जाप के बाद भगवान भैरव से अपने जीवन में सुरक्षा, सफलता और शांति की प्रार्थना करें।
  7. शुक्रवार या मंगलवार के दिन से जाप आरंभ करना विशेष फलदायी माना जाता है।
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लाभ

  • इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करने से साधक को अनेक दिव्य लाभ प्राप्त होते हैं:
  • यह मंत्र साधक के जीवन से भय, भूत-प्रेत बाधा और तंत्रिक प्रभाव को दूर करता है।
  • कार्यों में आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • यह मंत्र शत्रु नाशक है और साधक को अदृश्य सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
  • मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति में सहायता करता है।
  • विद्यार्थियों और व्यापारियों के लिए यह मंत्र अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।