हमारा संविधान जीवन का वाहन है, और इसकी आत्मा सदैव युग की भावना है-एमएलसी, हंसराज विश्वकर्मा
संविधान दिवस के अवसर पर डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर लोगों ने कृतज्ञता व्यक्त की
जनपद में आयोजित संविधान दिवस के अवसर पर लोगों ने भी शपथ
वाराणसी। लोकतंत्र की आत्मा भारत का संविधान हैं। मंगलवार को संविधान दिवस कार्यक्रम का आयोजन सर्किट हाउस सभागार में मनाया गया। एमएलसी धर्मेंद्र राय एवं एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा सहित जिलाधिकारी एस.राजलिंगम एवं मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने डॉ भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। इस अवसर पर लोगों ने संविधान की शपथ मिली।
एमएलसी धर्मेंद्र राय ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में आज 26 नवंबर के दिन को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। आज के ही दिन 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान अपनाया गया था। जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। हमारा संविधान कठोर और लचीला दोनों है। आधारभूत संरचना इसका मुख्य गुण है, जिसे बदला नहीं जा सकता। संविधान में हमारे मौलिक अधिकार और मौलिक दायित्वों भी दिए गए हैं। हमें पूर्ण जिम्मेदारी, ईमानदारी और मेहनत से अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए।
एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा ने कहा कि इससे पहले इसे कानून दिवस के तौर पर मनाया जाता है और बाद में 2015 से इसे संविधान दिवस मनाया जाने लगा। डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। संविधान को बनाने में डॉ भीमराव अंबेडकर की अहम भूमिका थी, क्योंकि वे संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा था कि संविधान एक वकील का दस्तावेज नहीं है, यह जीवन का वाहन है, और इसकी आत्मा सदैव युग की भावना है।